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________________ Jain Education International हतां, परंतु भावीन नहि गमतुं होवाथी शेठ डाह्याभाइनो स्वर्गवास थयो के जे बखते हीराबहेनने ३७ वर्ष चालतं. संततिमां हतुं नहि, जेथी विधवा या पक्षी पिता छोटालालाइ अने प्रिय बंधुओ नटवरलालसा बगरनो संपूर्ण प्रेम होवाथी हीराब्देन पीयरमां पाटण रहेवा आव्यां अने आत्मकल्याण साधवा लाग्यां विशेष प्रकारे नीचे प्रमाणे विविध प्रकारे पाओ करवा लाग्यां. १ वशिस्थानकनी ओळी. २ अक्षयनिधि त ३ स तप ४ नवपदीनी ओळी, ५ एकमायी, दोदमामी, aarit, arrarai, Barमी तप, ६ बावन जिनालय तप ७ पांचम, अर्गीयारस, बीज. ८ वर्धमान तपनी २१ मी ओळी ( चाले छे । ९ श्री शत्रुंजयना छ, अट्टम १० त्रणे उपधान. ११ पालीताणा चातुमांस करवा साधे नवाणुं यात्रा. १२ बीजीवार उपरोक्त प्रमाणे पूज्य पिताश्री साथे १३ तिथिए पोसह घणा वखतथी करे छे. उपरोक्त रीत धार्मिक जीवन जीवी मनुष्य जन्मनुं सार्थक करे छे. दरम्यान हीरानने आ ग्रन्थ जीवामां आवत करवा उपर प्रेम होवाथी ते निमित्ते के आर्थिक सहाय आपवानी इच्छा थ. जे raina dear frय बन्धु नटवरलालभाइने जाणni aani नटवरलालमाइनी प्रेरणाथी हीराच्छेने रु. ५०० पांचसोनी आर्थिक सहाय करी के. जे मांटे तेमनी आभार मानवामां आवे छे संस्कारी अने श्रद्धा कुटुम्बमां जन्मी हीराव्हेन आ ते जीवन सार्थक करे हे जे अन्यने अनुमोदनीय है. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600158
Book TitleTaporatna Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktivijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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