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________________ एकासणु- पोरत्नमहोदधि उद्यापन निजिगीष्ठ तप तथा पदकडी तप गीष्ठ तपः ने एकासगुं, पछी एक उपवास ने एकास[-ए प्रमाणे कुल ३४ दिवस ( २५ उपवास ने ९ एकासणा ) करवाथी पण ए & तप थाय छ. बाकीनो विधि उपर प्रमाणे जाणवो. उद्यापने ३४ मोदक विगेरे प्रभु पासे ढोकवा. .१२४ निजिगीष्ठ तप. (नं. अ. विगरे. वि. प्र.) आ तपमा एक उपवास उपर एक आंबिल-ए प्रमाणे आठ उपवास अने आठ आंबिलवडे एटले सोळ दिवसे आ तप पूर्ण थाय छे. उद्यापनमा सोळ मोदक, फळ विगेरे देव पासे ढोकवा. (नीरुज शिख अथवा नीरज सिंह तप कृष्ण पक्षे ज थाय छे. तेमा मुख्यत्वे ग्लान साधु साध्वीनी वैयावच करवानी छे. तेम ज ते तप पंदर दिवसे पूर्ण थाय छे. जुओ तप नंबर । ६३)" नमो अरिहंताणं" पदनी नवकारवाळी वीश गणवी. साथीया विगेरे बार बार करवा. १२५ पदकडी तप (जै. प्र. ज. सिं.) प्रथम एक उपवास करीने पारगुं, पछी बे उपवास करीने पारj, पछी एक उपवास करीने पारगुं, ए प्रथम ओळी थइ. पछी एक उपवास उपर पारगुं, वे उपवास उपर पारगुं, एक उपवास उपर पारणं, ए बीजी ओळी. पछी एक उपवास उपर पार[, बे उपवास उपर पारj, त्रण उपवास उपर पार[, बे उपवास उपर पारगुं, एक उपवास उपर पार| ए त्रीजी ओळी थई. पछी एक उपवास ने धारणुं, बे उपवास ने पारj, त्रण उपवास ने पार[, चार उपवास ने.पारणु, त्रण उपवास ने पारगुं, वे उपवास ने पारणुं, एक उपवास ने पारगुं, ए चोथी ओळी थई. कुल ३३ उपवास ने १८ पारणा मळी ५१ दिवस FREEKRECORAKES १५०॥ Jain Education For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600158
Book TitleTaporatna Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktivijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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