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________________ त्तीए नायाधम्मकहाणं उवासगदसाणं अंतगड दसाणं अणु त्तरोववाइयदसाणं पण्हावागरणाणं विवागसुयरस दिछिवायस्स.?, सम्वसिपि एएसिं उद्देसो समुहेसो अणुन्नाऽणुओगो पवत्तइ, इमं पुण पठ्ठवणं पडुच इमस्स साहुस्स इमाए साहुणीए वा अमुगअंगरस अमुगसुयखंधस्स वा उद्देस नंदी अणुन्नानंदी वा पवत्तइ ॥ ॥नंदी सम्मत्ता ॥ आवरसगंमि एगो सुयखंधो छच्च हुंति अज्झयणा । दोन्नि दिणा सुयबंधे सव्वेऽवि य हुँति अट्ठ दिणा ॥१॥ दसयालियंमि एगो सुयखंधो बारसेव अज्झयणा । पंचम नवमे दो चउ उद्देसा दिवस पन्नरस ॥ २॥ उत्तरज्झयणाणं एगो सयखंधो आयंबिलेण उदिसिज्जइ, तरस छत्तीसं अज्झयणा एकेकेण दिवसेण वच्चंति. नवरं असंखयं चउत्थमज्झयणं, तस्स उद्देससमुद्देसे कालेण कए जइ उट्ठवेइ कोइ तमि चेव दिवसे तो तस्स बीयदिणे भिक्खाNकालेण निव्वीएण अणुन्नव्यइ, अह न उट्ठवेइ तओ बीयदिवसे कालेणं आयंबिलेण अणुन्नब्बइ, समत्तेसु अज्झय. णेस सत्तत्तीसाए दिणेहिं सुयक्खंधो आयंबिलेण समुदिसइ, आयंबिलेण चेव अगुनब्बइ. एवं एगणचत्तालीसदि १ नवमं दोहिं दिणेहिं समथिज्जइ, दो दो उद्देसा दिणे दिणे तित्तिकाउं (ता. टी.) Jain Education inte For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600138
Book TitleSubodh Samachari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMacchindracharya
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1980
Total Pages104
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size5 MB
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