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________________ योगविधिः द्वार १७ ॥२५॥ श्रीचन्द्रीया आसहत्थिमाइ संघट्टे उवहम्मइ, विगइवावडहत्था उवहम्मइ, लेवाडयपरिवासे पत्ते पत्ताबंधे वा भत्तं पाणं च उव- सामाचारी हम्मइ, सव्वत्थ उवहए पत्तगाइं तिगप्पाई आहाकाम्मए चउकप्पाई, जइ कप्पिएणं भाणं हत्था वा काप्पया तो उल्लेणावि हत्थमत्तएणं घेप्पइ, अह पुण मूलमंडलियाण पाणएणं कप्पिया ताहे सुक्के तं घेप्पड़, वाणायरियअणुनाए पढणसुणणवक्खाणधम्मकहाओ कीरति न उण समईए, परियट्टणअणुप्पेहं जहाजोग्गं कीरइ, उत्तिविडीठियअकप्पभायणछिक्कं तिपरंपरं कप्पइ, अन्ने दुपरंपरंपि गिण्हंति, एवं तिरिच्छथलीठिएसुवि अकप्पभायणछिकं दायगेसु लय तिपरंपरं कप्पड़, अन्नं च कक्कवखंडसकराबाटखोयरसखीरीदुद्धकंजियवीसंदणाणि वासिचोप्पडयपक्कं वासियतिलकुट्टी मोरिंडगखेलाएललअमक्खियरोट्टगभंडगभरोलगवासियमोइयसत्तुयनालिएरतेल्लं एवमाइ गिहत्थेहिं अप्पणो अठ्ठाए कयं कप्पइ, खदुहडी दक्खावाणय चिंचापाणय नालिएरवाणय गुलवाणय सुंठिमिरियमाइयं च कप्पइ, दहीकयआसुरी धूवियहड्डरी मोक्कलिसिखरिणीतदिवसकयकरंबयं न कप्पइ, बीयदिणे कप्पइ, छट्रजोगे लग्गे संथुयतक्कतीमणं भज्जियाइयं च कप्पइ, न आरओ कप्पइ, अववाएण असहूस्स निभंजणं चउवाणोगाहिमं अन्नघयाइ अपक्खेवे पुधिल्लघयभरियतावियाए बीयघाणपकंप उग्गाहिमं कप्पड़, पढमपोरिसिमझे कप्पेइ पवेयणं पवेइत्तए, तंमि पवेइए संघट्टाइ संदि ॥२५॥ Jan Education For Private Personal use only Janaw.jainelibrary.org
SR No.600138
Book TitleSubodh Samachari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMacchindracharya
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1980
Total Pages104
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size5 MB
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