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________________ S ACACADAINIK का पउमौवई सिद्धौ ॥ १० ॥ इअ तित्थरक्खणरया अन्नेऽवि सुरा सुरी य चउहावि । वंतरजोइणि-18 5 पमुहा कुणंतु रक्खं सया अम्हं ॥ ११ ॥ एवं सुदिट्ठिसुरगण-सहिओ संघस्स संतिजिणचंदो। मज्झऽवि करेउ रक्खं मुणिसुंदरसूरिथुअमहिमा ॥ १२ ॥ इअ संतिनाहसम्म-विट्ठी रक्खं सरइ5 तिकालं जो । सबोवद्दवरहिओ स लहइ सुहसंपयं परमं ॥ १३ ॥ (४) चतुर्थ तिजयपहुत्तस्मरणम्-तिजयपहुत्तपयासया-अट्ठमहापाडिहेरजुत्ताणं। समयक्खित्त-17 ठिआणं सरेमि चक्कं जिणंदाणं ॥१॥णवीसा य अंसीआ पैन्नरस पन्नास जिणवरसमूहो। नासेउ 15 सयलदुरिअं भविआणं भत्तिजुत्ताणं ॥ २॥ वीसौं पर्णयालावि य तीसी पन्नत्तरी जिणवरिंदा । गहभृअरक्खसाइणि-घोरुवसग्गं पणासंतु ॥३॥ सत्तरि पणतीसाविय सेंट्टी पंचवे जिणगणो एसो। वाहिजलजलणहरिकरिचोरारिमहाभयं हरउ ॥ ४॥ पैणपन्ना य दसैव य पन्नट्ठी तहय चेव चालीसा । रक्खंतु मे सरीरं देवासुरपणमिआ सिद्धा ॥ ५॥ ॐ हरहुंहः सरसुंसः हरहुंहः तहय चेव सरसुंसः। आलिहियनामगन्भं चक्कं किर सवओभदं ॥६॥ ॐ 'रोहिणी पन्नोत्त वैजसिंखला तह य वैजअंकुसिआ। चक्केसरि नरदत्ता कालि महालि तह गोरी ॥ ७॥ गंधारी महजाला CLOCISIGCACIRECRUCIEOSECRE Jan Education Intema For Private & Personal use only
SR No.600104
Book TitleNavsmaranani
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year
Total Pages36
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size2 MB
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