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________________ नव TRI मे सिवसुहाणदायया ॥ ३४ ॥ अपरांतिका ॥ त्रिभिर्विशेषकम् ॥ एवं तवबलविउलं, थुअं मए II षष्ठं स्मरणानि । अजिअसतिजिणजुअलं । ववगयकम्मरयमलं, गई गयं सासयं विउलं ॥ ३५ ॥ गाहा ॥ तं बहु- अजितगुणप्पसायं, मुक्खसुहेण परमेण अविसायं । नासेउ मे विसायं, कुणउ अ परिसाऽविअ पसायं ॥ शान्ति स्मरणम् ॥ | ॥ ३६ ॥ गाहा ॥ तं मोएउ अ नंदि, पावेउ अ नंदिसेणमभिनंदि । परिसाऽविअ सुहनदि, मम य दिसउ संजमे नंदि ॥ ३७॥ गाहा ॥ पक्खिअचाउम्मासिअसंवच्छरिए अवस्स भणिअवो। सोअबो सवेहि, उवसग्गनिवारणो एसो ॥३८॥ जो पढइ जो अनिसुणइ, उभओ कालंपि अजिअसंतिथयं । न हु हुँति तस्स रोगा, पुव्वुप्पन्नावि नासंति ॥ ३९ ॥ जह इच्छह परमपयं, अहवा किर्ति | सुवित्थडं भुवणे । ता तेलुक्कुद्धरणे, जिणवयणे आयरं कुणह ॥ ४०॥ (७) सप्तमं भक्तामरस्मरणम्-भक्तामरप्रणतमौलिमणिप्रमाणामुद्द्योतकं दलितपापतमोवि. तानम् । सम्यक् प्रणम्य जिनपादयुगं युगादावालम्बनं भवजले पततां जनानाम् ॥ १॥ यः | संस्तुतः सकलवाज्मयतत्त्वबोधादुद्भूतबुद्धिपटुभिः सुरलोकनाथैः । स्तोत्रैर्जगत्रितयचित्तहरैरुदारैः, स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम् ॥ २ ॥ बुद्धया विनाऽपि विबुधार्चितपादपीठ !, स्तोतुं |॥ ६ ॥ HOPEOPLES %9446 Jan Education intem For Private Personal Use Only w w.jainelibrary.org
SR No.600104
Book TitleNavsmaranani
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year
Total Pages36
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size2 MB
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