SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिरिसंतिनाहचरिए तेहिं वि 'तह' त्ति विहियं संभालित्ताण अप्पियं तेण । रयणाणि य धणएणं कयाणि गुत्तेसु ठाणेसु ॥ १०१ ॥ ११३३॥ दहूण बहुं दव्यं चलियं चित्तं सुदत्तवणियस्स । अह सन्निया य पुरिसा 'खिवह इमं एत्थ कूवम्मि' ॥१०२॥११३४॥ तो तेहिं धणो भणिओ ‘कडूढसु णीरं ण याणिमो अम्हे' । जा सो कडूढइ णीरं ता खित्तो तेहिं अयडम्मि ॥१०३॥११३५॥ पण्णूरमज्झडिओ मणयं पि य नेय पीडिओ देहे । उट्ठेइ ससंभंतो कूवयपासाई पुलयंतो ॥१०४॥११३६॥ गाहऽत्थं चिंततो इओ तओ जाव तत्थ परिभमइ । ता जलरहियपएसे पेच्छइ एगं महदुवारं ॥ १०५ ||११३७॥ जाव णिरुवेइ तयं ता वरसोवाणपंतियं नियइ । हेट्ठामुहं वयंती अवयरइ अहोमुहं तीए ॥१०६ ॥ ११३८ ॥ अवयरिय थोवभायं जाइ पुणो पंजलेण मग्गेण । पेच्छंतो आयासं टंकियछिन्ने य गिरिपासे ॥१०७ ||११३९ ॥ आयासतलबिलग्गे उभओ पासेसु गिरिवरे दहुं । चिंतइ “अहह ! अहो ! हो ! अच्छरियं किंपि नणु एयं ॥ १०८ ॥। ११४०॥ अहवा वि किं इमेणं ? पुरओ पेच्छामि किंपि जं होइ" । जा एव जाइ धणओ ता णियइ सुरालयं एक्कं ॥ १०९ ॥११४१॥ सव्वरयणामयं तं कोऊहलेण अप्फुण्णो । जा पविसइ ता पेच्छइ मज्झे चक्केसरीपडिमं ॥ ११०॥११४२॥ दद्दृण तयं हटुो बंदइ गुरुभत्तिपुलइयसरीरो । थुणइ य महुरसरेणं 'जय जय जय देवि ! देवि ! त्ति ॥ १११ ॥११४३॥ जय जय गरुडणिसण्णे ! जय जय वरचक्कसोहियकरग्गे ! । जय जय भूसणधारिणि ! जय जय सुरसुंदरीणमिए ! ॥ ११२ ॥११४४ ॥ १. पण्णउर पा० ।। २. तुट्ठो जे० का० ॥ मच्छोयरकहाण १३६
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy