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कल्प
बारसा०
॥७३॥
उसिणवियडे पडिगाहित्तए, सेऽविय णं असित्थे, नो चेव णं ससित्थे, सेऽविय णं परिपूए, स्थविराव० नो चेव णं अपरिपूर, सेऽवियणं परिमिए, नो चेवणं अपरिमिए, सेऽविअ णं बहुसंपन्ने, नो,
दत्तिमानं चेव णं अबहुसंपन्ने ॥ २५॥ वासावासं पजोसविअस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति संखडीपपंच दत्तीओ भोअणस्स पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोअणस्स पंच पाण
रिहारश्च गस्स, अहवा पंच भोअणस्स चत्तारि पाणगस्स, तत्थ णंएगा दत्ती लोणासायणमित्तमावि पडिगाहिआ सिया कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तटेणं पजोसवित्तए, नो से कप्पइ दुचंपि । गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२६॥ वासावासं पजोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीणं वा जाव उवस्सयाओ सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए, एंगे एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परेण सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए, एगे पुण एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए॥ २७॥ वासावासं पजोसवियस्स नो कप्पइ पााणपडिग्ग
१ एगे पुण कि० सु.
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