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श्रीपार्थनिर्वाणं.
कल्प० बारसा०
॥४५॥
वासादि
RASAARLASHIRIKIANA
अंतमकासी ॥ १६७॥ तेणं कालेणं तेणं पार्श्वनाथ
चरि० समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं| वासाई अगारवासमझे वसित्ता तेसीइं| श्रीपार्थराइंदिआई छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता |
त्यागारदेसूणाई सत्तरि वासाई केवलिपरिआयं । पाउणित्ता पडिपुण्णाई सत्तरि वासाई सामण्णपरिआय पाउणित्ता एकं वास-| सयं सवाउयं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जा-12 उयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसम-II सुसमाए समाए बहुविइकंताए जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावण-II
॥४५॥
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