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________________ नाम. किं. ह. ॥२२॥ CAE%A4%ARCOREGALA शेठ देवचंद लालमाई जैन पुस्तकोद्धार फंड तथा श्रीमती आगमोदयसमितिना हालमा मलता ग्रंथो. आ उपरांत आगमोद्धारक आचार्य श्रीआनंदसागरसूरीश्वरजीनी दृष्टितले तैयार थयेली तथा केटलीक अवचूर्णिओ प्रेसमा छापवा गयेल छे. समितिना:| अंक. नाम. किं.क.| अंक. ४५ भक्तामरस्तोत्र पादपूर्तिरूप काव्य (प्रथम विभाग टीका भाषांतर)३-०-० । ५५ नंद्यादि( सप्तसूत्र )गाथाद्यकारादियुतो विषयानुक्रमः २-०-० ४७ पंचसंग्रह-(टीकासह) २-८-० ५६ आवश्यकसूत्र (मलयगिरिकृत टीकायुक्त पूर्वभागः) ४-०-० ५. जीवसमासप्रकरण (सटीक) १-८-० ५७ लोकप्रकाश-प्रथमविभाग (द्रव्यलोक सर्ग १थी ११ माषांतर) ३-८-० ५१ स्तुतिचतुर्विशतिका (सचित्र श्रीशोभनमुनिकृत संस्कृता) -.-. ५९ चतुर्विंशतिका-जिनानंदस्तुति (सचित्र मेरुविजयकृत भाषांतर) 6-6-- ५२ स्तुसिचतुर्विशतिका व ऐंद्रस्तुति (सचित्र कवि धनपालकृत) ६-०-. ६. आवश्यकसूत्र (मलयगिरिकृत टीकायुक्त द्वितीयभागः) २-८-० ५३ चतुर्विंशतिका (सचित्र श्रीवप्पभट्टिसरिकृत भाषांतरयुक्त) -.-. (त्रीजो संपूर्ण फंडमांथी छपायो छे) ५४ भक्तामरस्तोत्र पादपूर्तिरूप काव्य (द्वितीय विभागः टीका ६१ लोकप्रकाश-द्वितीयविभाग (क्षेत्रलोक सर्ग १२ थी २० भाषां०) ३-०-० भाषांतरसह) ३-८-० फंडना:८५ आवश्यकसूत्र मलयगिरिकृत टीकायुक्त (तृतीयभागः) २-- ० ८ प्रशमरतिप्रकरण (बृहत्गच्छीय श्रीहरिभद्रसूरिकृत विवरण८६ लोकप्रकाशमूल चतुर्थ विभाग (२७ सर्गथी संपूर्णप्रन्थ) १-.-. समेत वाचक उमास्वाति विरचित) १-४-० ८. भरवेश्वर-बाहुबलिवृत्ति द्वितीयविभागः (संपूर्ण) २-०-० ८९ अध्यात्मकल्पद्रुम (रत्नचंद्रगणि व धनविजयगणिकृत टीकायुक्त) ३-०-० AALAAAACARCIA ॥२२ Jain Education in (Aarww.jainelibrary.org For Private & Personel Use Only (A
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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