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________________ श्रावकधर्मपञ्चाशक चूर्णिः । परि.१ 456 प्रमाणानामकारादिक्रमः ॥ १७४।। RECECR590 गाथाद्याद्यंशः पृष्टांकः निर्दिष्टानिर्दिष्टस्थलानि | गाथाघाद्यशः पृष्टांका निर्दिष्टानिर्दिष्टस्थलानि नाणीसु बंभयारिसु ११२ (आव० चू० भा०२, पृ०३०६) नो खलु अप्परिवडिए ४९ (श्रा० प्र० गा० ९५) नारयतिरियनरामरभवेसु १४ (श्रा०प्र० गा०५७) नो मे कप्पइ अन्नउत्थिए ११५ ( उपा० सू०८) नासइ इमीए नियमा १५ (श्रा० प्र० गा० ९०)| नो से कप्पइ अज्जप्पभिई १८ (आव० सू० ३६) नासेइ अग्गीओ १२९ (व्य० उ० १० गा० ४२२)| पच्चक्खाइ आहारं १३९ (पंचव० गा० १६२४) निक्खमपवेसमंडलि ६३ (ओघ० भा० २७५) | पच्चुरसि परम्मुहपट्टि ६३ (ओघ० भा० २७६ ) निक्खित्तभरो पायं १२२ (पंचा. गा. ४७४) | पच्छाकयपणिहाणा ११८ (श्रा० प्र० गा० ३६८) निग्घिणतेगंतेणं १२२ (पंचा० गा० ४७१)| पडणीययाइ कोई अग्गी १४१ (व्य० उ०१० गा०५९०) निद्दाविगहापरि (पञ्चव० गा० १००६)| पडणीययाइ कोई १४२ (व्य० उ० १० गा० ५९१) | निप्फेडियाणि दोनिवि १३४ (आव०नि० ८७०)| पडिसेवइ विगईओ १३१ (व्य० उ० १० गा०४७५) निरवज्जाहारेणं (नव० स्वो० ५०३२) पढमबीयकसाय ११४ (पंचा० टी०प० २८) निसग्गुवएसरुई (प्रव० सा० गा० ९५०) पढमं तओ य पच्छा ११८ (श्राव०प्र० गा० ३६७) निहण हण गिह (मर० गा० ३९४) पढमंमिय संघयणे १४० (व्य० उ० १० गा० ५७१) नो इहलोगट्ठयाए ४६ ( ) पढमे जायइ चिंता ॥ १७४॥ JainEducatio t iona For Private Personal use only
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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