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________________ बीमन्महामा::लोकात्याची ७५६ स पपात हतः सूतो (द्रोण) ११३.५७ स पाण्डवस्तूर्णमुदीर्ण (विरा) ५४.२३ स पीडितो देवयान्या (आ) ७६.५१ स पुनर्जायते राजन् (शांति) २६७.१६ स पौराणी ब्रह्मगुहा (अनु) १५८.१७ स पपात हतस्तेन (उद्योग) १.२४ स पाण्डवानां प्रवरैः (कर्ण) ४६.३८ स पीडितो महाबाहु (विरा) ६४.४८ स पुनर्भरतश्रेष्ठ (द्रोण) १५६.१५४ स पौष्यं पूनरुवाच न () स पयोष्ण्यां नरश्रेष्ठ (वन) १२१.१७ स पापवान्महेष्वासः(भीष्म)१०८.२६ स पीड्यमानो बहुभिः (आश्व) ४.१३ स पुनर्योगमास्थाय (शांति) ३३२.६ सप्तगोदावरे स्नात्वा (बन) ८५.४४ स परित्यज्य शाखाश्च शांति) १५७.२ स पाण्डवेयस्य मनः (शांति) ५०.३८ स पीत्वा शीतल तोय (वन) १२६.१६ स पुनह दयं कस्य (सौप्तिक) ४.२८ सप्त ग्राम्याः पशवः (वन) १३४.१४ स पर्यपृच्छत्तं पुत्रं क्षीण(अनु) ७१.१२ स पाण्डुरिति विख्यातः (आ) ६७.८६ स पुखपत्रः पृथिवी (द्रोण) ११३.५१ स पुनस्तांजधानाशु (शांति) ४६.६२ सप्त चान्यानि रक्तानि अन110307 स पर्वकालं कृत्वा तु (वन) २६०.५ सपादशो राक्षसभोजना(कर्ण)२०.५० स पुण्यशीलः पितृवन् (वन) २४.२४ स पुरोचनमेकान्तमानीय(आ) १४४.२ सप्त नारी नविन शल्य ०४: सपर्वतवनद्वीपां चक (कर्ण) ३४.२० स पापः कोषयांश्चैव (आ) १४७.११ स पुत्रकामो नृपति (बन) १०६.१० स पूजयित्वा मधुहा (वन) १८३.१५ सप्त चैव पृषत्कांश्च (भीष्म) ४७.५४ सपर्वतवनद्वीपां (शांति) १४.३६ स पापः क्षत्रियो (उद्योग) १६२.५३ स पुत्रः कासरत स पुत्रः क्रोधसंरब्धः (आ) १६.१८ स पूजामषिभिदत्ता (शांति) १२६.३ सप्तजातिषु मुख्य (शांति) ३४२.१०६ MIोण ५६ सपुत्रदाराः सकराः(सौप्तिक) ८.१३७ स पूजितोऽसुरेन्द्रेण (शांति) २८०.४ सप्तत्या सारथिं (द्रोण) ११७.१४ सपर्वतबना देवी सग्रामन(वन)२३७.६ सपार्थबाणविनिपातिता(कर्ण) ७६.८८ सपुत्रदाराह मुनिः (वन) २६०.५ स पूज्यमानः कुरुभि(उद्योग) ९४.२७ सप्तदणेमान राजेन्द्र तोग) स पार्थवाणस्तपनीय (कर्ण) १५.१४ स पुत्रपशु भिवृद्धि (उद्योग) ३६.१८ पूज्यमानः पितृभिः (द्रोण) १०६.३६ सप्त देव्यो जयाष्ट (शांति) २२८.८३ र स पार्थमुक्तौरिषुभिः (विरा) ५४.३६ स पुत्रं निहतं दृष्ट्वा (वन) २८६.२६ स पूज्यमानस्षिदर्शमहात्मा(वन) १०५.६ सप्तद्वीपां वसुमती (द्रोण) ७०.२१ सपर्वतवाना राजन (द्रोण) १०६.१६ स पार्थिवत: सद्धि (शांति) ६४.१५ स पुत्रशोकादुद्विग्रस्त (बन) १३५.४६ स पूर्वदेवचरितं तदा तत्र(सभा)१.१७ सप्तद्वीपा वसुमती (कर्ण) १०.१०६ स पर्वतो महाराज दिव्य (भीष्म)६.१७ भीम स पार्थिवो नित्यममर्षित(शल्य)५७.६६ सपुत्रः समरे कर्ण स (कर्ण) १४.४२ स पूर्वमतिविद्धश्च (द्रोण) २००.७१ सप्तदोषाः सदा राज्ञा (उद्योग) ३३.६१ स पश्यति यथान्याय (शांति)३०१.८६ स पार्वत्याः कृते शर्वः (द्रोण)२०२.६३ स पुत्रस्य वचः श्रुत्वा (विरा) ६८.६२ स पूर्वमुक्त्वा वेदार्थान(शांति) ३४६.१५ स पूर्वमुक्त्वा वेदार्थान् (शांति) ३४६.१५ सप्तप्रकृति चाष्टाङ्ग (शांति)१२१.४७ जोरात (टोण ७३.५२ स पालयामास महीं (अनु) ३०.१४ सपुत्रा त्व प्रसाद नः (मा) १७६.२६ स पूर्वसंध्या ब्रह्माणं (शांति) १७२.६ सप्त ब्रह्माण इत्येते (शांति। २०८.५ स पाण्डयो नृपतिः श्रेष्ठः कर्ण) २०.६ स पितः प्रियमन्विच्छन् (वन)१४७.३२ स पुत्रान् बहुलान् (शांति) ३५३.५ स पृष्टः कुशलं तेन (आश्व) ५३.६ सप्तभिर्दिवसः खात्वा (बन) २०४.२१ स पाण्डवबलं कर्णः (कर्ण) ४८.१० स पितृ स्तर्पयामास (वन) ८१.१५ सपुत्रा हि पुरा कुन्ती (आ) २००.६ स पृष्टः पाण्डपुत्रेण (वन) ११.४ सप्तभिः शल्य (भीष्म) ११३.६ स पाण्डव द्वादशभिः (विरा) ५४.२० स पीडयमा नस्तनांगै (भीष्म) ६४.६२ सपुत्रे त्वयि वृत्ति (उद्योग) १५.५६ स पौरवं रयशक्त्या (द्रोण) २००.८४ सप्तभिस्तु शिर्बाणः (द्रोण) २००.७७ सपाण्डवयुगान्तार्कः (द्रोण) ३२.४६ स पीडयित्वा पञ्चालान्(कर्ण) ३२१ स पुत्र राज्यमासज्य(आश्रम) २०.७ स पौरवरयस्येषामाप् (द्रोण) १४.५६ सप्तम कापिलं वर्ष (भीष्म) १२.१४ For PV Peson Use Only
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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