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सतावछक्त्यवरान् (आ) १७६.४२ स ताञ्छरविनिभिद्य (वन) २४०.११ स तायमानस्तु शरैर ( भीष्म ) ८५.१ स तायमानो बहुभि (द्रोण) १७७.२३ स ताडयमानो बहुभिः (भीष्म) ८३.३४ स तात इव विष (आ) १७८.५ स तानतीत्य वेगेन (द्रोण) १२७.३६ स तानपि महेष्वासा (सभा) २६.७ ह तानभीषून् पुनराद (भीष्म) ५९.१०५ स तानापततः सवान् (सौप्तिक ) ८.३४ स तानाह न मे धर्मों (शल्य ) ५१.४८ स तानि तीर्थानि च (वन) ११८.८
स तानि रमणीयानि (वन) स तानि शरजालानि (द्रोण)
स तानुत्पतितान् (वन) स तानुदीर्णान्सरथा (द्रोण) स तानुवाच तेजस्वी (वन) स तानुवाच नहुषो (उद्योग)
स तानुवाचास्ति खलु (बन) स तान् ज्यामुखनि (आश्व)
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१५२.३
१००.७
२४५.११ १४५.१८ ९६.१८
११.३
११९.२ ७४.१३
१६.३४
४६. =
स तान् दृष्ट्वा तथा (आश्व) ७५.१५ स तान् दृष्ट्वा निपतितान् ( मौ) ७.२९ स तान्निषादानुपसंहर (आ) २८.१८ स तान् प्रति महाराज (द्रोण ) १०८.५ स तान्प्रत्यचयामास (अनु) सतप्रमृद्यभ्यपतः (कणं) स तान् प्रसादयामास (आश्व) १२.५० स तान् यथावच्च (उद्योग) १६.२९ स तान्यनीकानि निवर्त (विरा ) ६६.६ स तान् रथवरान् (द्रोण) १४६.४४ स तान्वहति कौन्तेय (शांति) ३०१.७६ स तान् विद्राव्य (द्रोण) १२८.१०
स तान्शिष्यान्महेष्वासः (आ) १३२.४ स तान्सवस्तुष्टाव एभि (आ) ३.१४५ स तान्सर्वा शरंधर (शल्य) २७.५५ स ताः पिबन्क्षीरमिव (अनु) १५३.४ स ताभ्यां पुरुषव्याघ्रो (आश्व) ८७.९ स ताभ्यां व्यचरत्सार्धं (आ) ११३.२० स ताभ्यां सहितः पार्थो (द्रोण) ८४.२० सतामपि कुले जाताः (बा) ११४.२
धामन्महाभारतम् ।। लोकानुक्रमना
स तामपृच्छत् (उद्योग) १७६.२१ स तामप्सरसं दृष्ट्वा (शांति) ३२४.५ स तामभिप्रेक्ष्य विशालनेत्रं (विरां) १६.७ स तामर्थे सम्यगुत्पादितो (अनु) ७६.३ स तामसो मधुर्जात (शांति) ३४७.२६ स तामामन्त्रय सुश्रोणी (वन) २८१.७ स तामापदमासाद्य (सौप्तिक ) १३.२० स तामाश्वासयत् (उद्योग) १७५.४५ स तामुद्धृत्य मञ्जूषा (वन) २०९.६ स तामुपादाय विजित्य (आ) १८८.२८ स तामुवाचते कुण्डले (आ) ३.१११ स तामृषिस्तदा क्रुद्धो (अनु) १५.१५ सतामेकां निशां गोभिः (अनु) ७६.८ सतामैश्वर्ययोगस्थां (शांति) ३४९.२४ स तां दृष्ट्वा च्यूतां (वन) ११६.९ स तां दृष्ट्वा विशाला (विरा) ३७.६ सतां धर्मेण वर्तत (वन) २०९.४४ सतां धर्मेण वर्तेत (शांति) २३५.२६
४.९
सतां न प्रददौ तस्मै (अनु) स तो पराकृष्य सभा (सभा) ६७.३१
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५.८
सतां पुनरुवाच नापरा (आ) ३.६ सतां पूरयामास लक्ष्म्या (आ) १७७.४० सतां मतमतिक्रम्य (उद्योग) १२४.२६ सतां माद्रीमुपादाय (आ) ११३.१७ स ताम्रनयनः ऋधाच् (द्रोण) १३७.४ स तां वाचं गुरोः पत्न्या (अनु) ४१.१४ स तां विदर्भराजस्य (वन) ६६.२१ सतां विसर्जयित्वा तु (वन) १४२.४५ सतां वृत्तमधिष्ठाय (शांति) २९६.२६ स तां वृष्ण्यन्धकजला (मौ) सतां वै ददतोऽन्नं (शांति ) सतां सकाशे तु वृतः (आ) सतां सकाशे पतिता (आ) सतां सकृत्सङ्गतमी (वन) २९७.३० सतां संग्रहणं शौर्य (शांति) ५८.६ सतां सदा शाश्वतधर्म (वन) २६७.४७ स तो समागमः सद्भिः (अनु) ७०.३२ सतां साप्तपदं मित्रमाहू (वन) २६०.३५ सतां साप्तपदं मंत्र (शांति ) १३८.५६ स तालकेतोस्तीक्ष्णेन (भीष्म) ४७.६
१८.२७ १२.८
८८.५
७४७
स तांस्तब्धोदकान् (द्रोण) १००.१६ स तावामन्त्रयामः स ( आ ) १६७.६ स तावुवाच तेजस्वी (वन) २७९.२० स तांश्छित्वा महाबाहू ( भीष्म) ८३.३६ सताः सभाः समासाद्य (उद्योग) ८. ११ स तासां भगवांस्तुष्टो (वन) २७५.६ स तांस्तु दृष्ट्वा (सौप्तिक) १०.३१ स तीक्ष्णविषदिग्धेन शरेणा (अनु) ५.६ सती दुरस्तरं वीरो (द्रोण) ५१.७ सती पुरा हृता काचिदा (कर्ण) ४५. ११ स तीव्रगन्धसन्तप्तो (स्वर्ग) २.५१ स तीव्र कोपमास्थाय (द्रोण) स तीव्रं तप आस्थाय (कर्ण) ३४.१२६ स तु कामपरीतात्मा (आ) १२५.६ स तु कामग्निसंतप्तः (विरा) १४.६ स तु कामान्मृगो (शांति) १२५.१४ स तु कालेन महता प्राप्य (अ) १२०.४ स तु कोप समुत्सृज्य (स्त्री) १२.२१ स तु क्रुद्धस्ततो राजन् (कर्ण) ५५.१५ ह तु क्रोधसमाविष्टः (भीष्म) ११३.३०
5.5
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