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श्रीमन्महाभारतम् :: श्लोकानुकमणी अथ यत धनुर्घोषो (द्रोण) १७५.२१ अश्वत्थामन्प्रसीदस्व (द्रोण) १५६.१३ अश्वत्थामा तु तत् कर्म विरा)५८.७३ अश्वत्थामा शान्तवन:(उद्योग) १९५.६ अश्वत्वाम्नि स्थिते वीरे(सभा)३७.११ अब यत महाश्शब्द (कर्ण) २७.३४ अश्वत्थामन्प्रसीदस्व(द्रोण) १५६.६० अश्वत्थामा तु तो(सोप्तिक) ८.६ अश्वत्थामा सुसंयत्तः (कर्ण) १६.२१ अश्वत्याम्नि हते नैष (द्रोण) १६३.५१ अब यन्त हि नामानि(द्रोण) १७२.३८ अश्वत्थामा कृतवर्मा (कर्ण) ७३.५५ .
अश्वत्थामा तु संक्रुदः (सौप्तिक) ५.३३
अश्वत्थामा सुसंऋद्धः(द्रोण) १५६.१५४ अश्वत्याम्नि स चिक्षेप(द्रोण)१५६.७८ अश्चैवं रक्षते पार्थ (द्रोण) १२.३१ अश्वत्थामा कृतवर्मा (कर्ण) ७८.६१
अश्वत्थामा तु समरे(भीष्म) ११६.११
अश्वत्थामा सोमदत्तश्चा (भीष्म)६६.५ अश्वत्थाम्नो महाराज(उद्योग) ५५.५१ अषस्त्वं राजधर्मान् (वन) ३५.२१ अश्वत्थामा कृपश्चव(उद्योग) १४३.४२
अश्वत्थामा तु संप्राप्य(द्रोण) २००.५४
अश्वत्थामा हत इति (शाति) २७.१८ अश्वत्थाम्नो विकर्ण(उद्योग) १२४.१८ अश्रोत्रिया ये च (उद्योग) ३०.१० अश्वत्थामा कृपाचव(द्रोण) १४५.४३
अश्वत्थामा त हादिक्य (शल्य) २३८
अश्वत्थामा हते कर्णे (कर्ण) ६.८३ अश्व-नाग-रयैश्चव (शांति) ६८.३३ अथोत्रियाः सर्व एव (शांति) ७६.५ अश्वत्थामा कृपाचव (शल्य) २५.४०
अश्वत्थामानमायस्तो (द्रोण) १५६.६६
अश्वत्थामा हतो ब्रह्म(द्रोण)१६०.५१ अश्व पृष्ठेषु चाप्यन्ये (द्रोण) १८४.३८ अधोषं निहतान्पुत्रा (कर्ण) ३१.२७ आवत्थामा कृपाचंच (शल्य) २७.१७
अश्वत्थामानमुक्त्वैव (द्रोण) १५६.११६
अश्वत्थामेति विख्यातो(द्रोण)१९०५० अश्वबन्धोऽय नकुलः (विरा) ४४.६ अधोषं पतितश्चाह (अनु) ७०.२५ अश्वत्थामा कृपश्चैव (उद्योग) ५१.१६
अश्वत्थामामय लोकं (द्रोण) १६०.१५
अश्वत्थामेति सोऽयेष(द्रोण) १६६.३२ अश्वबन्धो भविष्यामि (विरा) ३.३ अश्रौषमहमूरूस्थो (आ). १८०.५ अश्वत्थामा कृपश्चव (भीष्म) ५६.४
अश्वत्थामानमासाद्य (द्रोण) १५६.४२
अश्वत्थामेति हि गजः (द्रोण) १६०.१७ अश्वं च तं परामृश्य (आश्व) ७७.३ अश्रोषमहमेतद्वै भीष्म(कर्ण) ९.४० अश्वत्थामा कृपश्चैव (सोप्तिक) ६.७
अश्वत्थामाऽपि चात्रव (आ) २.२६५
अश्वत्थामैव बालोय (आ) १३०.४६ अश्वमेधकतोस्तुल्यं फल(अनु) ७३.४७ अश्वक्रन्देन वीरेण रेणुकेन (आ)३२.१० अश्वत्थामा च भोजाच (शल्य) २.१७
अश्वत्थामा महाराज(द्रोण) १४५.८५
अश्वत्थाम्नः शरानस्तान्(कर्ण)१६.३६ अश्वमेधतितांलोकान्(अनु) १४१.५३ अश्वग्रीव: पुलोमा च(शांति) २२७.५०
अश्वत्थामा महाराज(सौप्तिक)८.१११ अश्वत्थामा च रामश्च (अनु) ६.३३
अश्वत्थाम्नः बुत कर्म (स्त्री) १.३ अश्वमेधं दशगुण प्रवदन्ति(वन) ८५.५ अश्वनीवश्च सूक्ष्मश्च (आ) ६५.२५ अश्वत्थामा ततः क्रुद्धो(भीष्म) ८२.२८
अश्वत्थामा महावीर्यः (बा) ६७.७३
अश्वत्थाम्नः श्रुतं कर्म (स्त्री) ६.३ अश्वमेधमवाप्नोति कुलं (वन)८२.१२५ अश्वत्थफलमक्षाश्च तथा(अन) १४.५८ अश्वत्थामा ततः शूरो (कर्ण) ६५.८
अश्वत्थामा यथा तात (द्रोण) ११.५
अश्वत्थाम्नस्तु यबुद्धम (कर्ण) १६.२ अश्वमेधमवाप्नोति कुलं(वन)८४.१४२ अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां (भीष्य) ३४.२६ अश्वत्थामा ततस्ती(भीष्म) १११.२६
अश्वत्थामा यथा (उद्योग) १४८.१६ अश्वत्थाम्ना विकर्णन (कर्ण) ६.१७ अश्वमेधमवाप्नोति (वन) ८४.१४६ अश्वत्थस्थोऽग्निरित्येव (अनु) ८५३५ अश्वत्थामा ततो जज्ञे (मा) ६३.१०८ अश्वत्थामा ययौ (भीष्म) १७.२१ अश्वत्थाम्ना च सहितं(आ) १३५.३१ अस्वमेधमवाप्नोति (वन) ८४.२२ अश्वत्थामस्त्वरायुक्तो (द्रोण)१५६.६४ अश्वत्थामा ततो राजा(शल्य) १७.८७ बश्वत्थामा रणे कुदः(भीष्म) १११.२३ अश्वत्थाम्ना हतश्चापि (मौ) ६.१७ बश्वमेघमवाप्नोति (वन) अश्वत्थाम्नः पुनर्वाणा:(विरा) ५६.१५ अश्वत्थामा तथा (भीष्म) १०२.२४ अश्वत्थामा रहस्येषु (आ) १३२.६२ अश्वत्याम्नि रूपे चंव(भीष्म) ८६.४० अश्वमेधमवाप्नोति परं(वन) ८५.२१ अश्वत्थामन्पुनः (द्रोण) २००.२५ अश्वत्थामा तथोक्तस्तु(द्रोण)२००.२६ अम्बत्तामा विकर्णश्च (भीष्य) १२.२४ अश्वत्याम्नि यथा पुत्र(उद्योग)१३९.४ अश्वमेधमवाप्नोति (वन) ८३.५६
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