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________________ भीमन्महामारतम् ::श्लोकानुनमणी यजतः पुत्रकामस्य कश्यप (आ) ३१५ यजमाना यथाऽत्मान(शांति)२६३.१० यज्जात्वा न पुन: (भीष्म) २८.३५ यज्ञमेवोपजीवन्ति (शांति) ७२.२१ यज्ञ पशुपतेः प्रीता (अनु) ८५.६८ यजता काममानानां (अनु) १६.६० यजमानांस्तु तान् (अनु) १५५.१७ यज्वनां दानशीलानां (द्रोण) ७८.२१ यज्ञवाहः सवाहश्च (शल्प) ४५.७० यज्ञ वहन्ति संभूय (शांति) २६८.२६ यजतां विविधयंज : (शांति) १४.११ यजस्व जन्तुग (वन) १२७.१६ यज्वभिविधिनाहूतौ (कर्ण) ५६.६४ यज्ञवाहाय दान्ताय शांति) २८४.१०७ यज्ञाङ्ग कथिता गावो (अनु) ५३१७ यजते नित्ययश्च (अनु) १४३.३१ यजस्व मदनुज्ञातः (आव) ७१.२५ यज्वा दानपति: (शांति) ३५५.१० यज्ञविद्याङ्गविद्भिश्व (आ) ७०३८ यशाङ्ग दक्षिणा तात (शांति )७६.११ यजतो दीर्घसत्रम शापा (आ)७५.४१ यजस्व वाजिमेधेन (आश्व) ३.६ यज्वा दानपतिः (आ) २२३.१८ यज्ञशिष्टाम तमुजो (भीष्म) २८.डा यज्ञाङ्गान्यपि (शांति) २६८.३२ यज देहि प्रजा रक्ष (शांति) १५.५३ यजस्व वाजिमेधेन (आश्व) १३.२० यज्वा दानपतिः (वन) २६३.६ यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो (भीष्म )२७१३ यज्ञांगो यो वराहो (शांति) ४७.४७ यजध्वं विविधयज्ञ (उद्योग) ५६.२० यजस्व वाजिमेधेन (शांति) १६.२६ यज्वा दानपति: (कर्ण) ४१.११ यज्ञशीलः सदा भूत्वा(शांति)२२५.१४ यज्ञानाद्वा भयाद्वाऽपि(उद्योग) १२७.२४ यजएवं यहतः यज:(शांति३३९.१४१ यजस्व विविधयज्ञ: (आव) २.३ यज्वा च दान्तो मेधावी (अन) २.१७ यज्ञशूरा दमे शूराः (अनु) ७५.२३ यज्ञानामपि यो यज्ञः (अन) १७.२८ यजनं बहुशच्चाग्नो (अनु) १६८.१६ यजस्व विविधैर्यज्ञ' (अन) १६६.१० यमानः पुत्रिणो (द्रोण) १७.२४ यज्ञश्च परमो धर्मः (अनु) १४१.४१ गजाय सृष्टानि धनानि (शांति)२०.१० यजन याजन चैव (अन) १४१.८ यजस्वाभीप्सितं यज्ञ (सभा) २३.२४ बचानश्च तथैवान्ये (अनु) १४५.६० यज्ञश्चेत्प्रतिषत स्याद(शांति) १६५.६ यज्ञाय सृष्टानि धनानि (गांति)२६.२५ यजनं याजनं च तथैव(वन) ८२.१०६ यजिष्णु: पञ्चमी (अनु) १०६.१६ यज्वानो जज्ञिरे शूरा (आ) ९४.६ यज्ञः श्रु तो दिवि देवस्स (आ) ५५.६ यज्ञार्थमन्यद्भवति (शांति) १३०.३६ यजन्ति पुत्रकामाश्च (वन) २२८.६ यजुः पादभु नो गुह्यः (अनु) १७.६२ यज्ञ इग्यो महेज्यश्च (मनु) १४६६१ यज्ञमस्तरावद्भिश्च (आ) ७०.४२ यज्ञार्थ चक्रनुचिन्ता (शल्य) ३६.१५ यजनाध्ययन चव (शांति) ३०३.२६ यजुमियन्त्रिधा वेद्य (अनु) १६.४८ यज्ञक्रियाश्च विविधा (वन) १६१.६ यज्ञः समाप्यतां तात (वन) १०७.५८ यज्ञार्थात कमगोऽन्यत्र (भीष्म) २७.६ यजन्ते च महायज्ञ (शांति)६८.३४ यजुर्मयो त्रयश्च (शांति) २४.१२६ यज्ञदानता शीला (अनु) १२०.२५ यज्ञसेनस्तु समरे (द्रोण) १६८.१४ यज्ञार्थानि हि सृष्टानि(शाति)२६८.३० यजन्ते त्वामहरहः (शांति) ३३४.२७ यजुषामृचा साम्ना च (वन) २६.३ यज्ञदाने प्रश पस्मै (शाति) १०५.१८ यज्ञसेनस्य कामस्तु (आ) १८५.८ यज्ञावाप्तिाह्मण (द्रोण) २०२.१५८ यजन्ते याजक: सम्पक(वन) १३०.१६ यजुषा संस्कृतं मांस (शांति) १९३.१४ यजामत्यपर विमाः (प्राय) ४६.११ यज्ञसेनस्य च सुता (आ) १८४.११ यज्ञविघ्नभिम कतुं (सभा) ३१.५१ यजन्ते वेदविदुषो मां (वन) १८६.९ यजविनोमानि (जाति) ३१६.६ यजामत्येव राजन. (समा) ३५.१३ यज्ञसनस्य दुाहता (आ) १५४.७ यज्ञाश्च दक्षिणापचव (समा) ७.२३ यजन्ते सात्त्विका देवान (भीष्म) ४०.४ यजेत वाश्वमेवेन (स) ७१० यज्ञभूधाबी यह (अनु) १४६.११८ यज्ञस्य च न विमः (ममा) ४०.४ यज्ञियं तं विना एवं (व) १०७.२१ तजन्तोऽहरहयज्ञ (शांति) २७०.१६ यदेवं विरूपाक्षं न (अनु) १८.६७ याने महादेव (शाति) २३.२२ यज्ञस्य विधिमग्रयं (आव) ६१.७ यज्ञियानां च वृक्षाणा (अ) १५.२० यजजानस्य व देवान् (वन) ६०.१६ यजित्वा तप्यते (सौप्तिक) १०.१३ यज्ञमेव संपन्ति (जाति) २१.५ यज्ञ दीक्षा तथा होमान्(आश्व)९३.३१ यझेन तपसा चैव (आश्व) ३.५ Jain Education Interation For Pale & Person Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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