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________________ भीमम्महाभारतम् ।। श्लोकानुक्रमणी पुण्डरीक परं धाम (उद्योग) ७०.६ पुण्यदेशाभिगमनं (शांति) १५२.६ पुण्यश्च रमणीयश्च (आ) २.१६ पुण्याश्च सास्विकान् (शांति) ३०१.६३ पुत्रकाम न ते हन्मि (आ) ९८.१७ पुण्डरीकवनानीव (द्रोण) ८९.८ पुण्यपापवयार्थ हि (शांति) २७५.३८ पुण्यश्लोकस्य वै सूतो (वन) ७४.११ पुण्याश्रमवती रम्यां (द्रोण) ८०.२६ पुत्रकामः परं शक्त्या (द्रोण) ५५.१९ पुण्डरीकवनानीव (द्रोण) १७.७ पुण्यपापमयं देहं (शांति) २७५.३७ पुण्यः सोमगिरिएचव (धनु) १६५.३३ पुण्याहघोषमिश्रण (उद्योग) १०.१२ पुत्रकामश्च लभते पुत्रं (बनु) ८१.४५ पुष्परीकमववाप्नोति (वन) ५४.२८ पुण्यपापेन मानुष्यम (शांति) ३१४.५ पुण्यस्य लोको मधमान(शांति)७३.२६ पुण्याहपोषविमलेबंदाना (शल्य) ३६.६ पुत्र कामो हि पुत्रायें (अनु) ४६.१६ पुण्डरीकसहस्रण (द्रोण) ६३.२ पुण्यमाख्यानमायुष्यं (द्रोण) ७१.२१ पुण्यस्यैवाभिगंधस्ते (अनु) १२०.१५ पुण्याहवाचनं देवं (अनु) २३.३७ पुत्र काम्बोजराजस्य (द्रोण) ९२.७५ पुण्डरीकाक्ष पश्य त्वं (आश्व) ६७.२ पुण्यमाहः कुरुक्षेत्र (वन) ५३.१४५ पुण्यस्व पुण्यस्वाध्यायसंघष्टा (आ) ७०.२६ पुण्याहवाचन नित्य (अनु) १०.४२ पत्र गत्वा मम वचो (आव) १.७ पुण्डरीकाक्ष भद्रं ते (आश्व) ५२.४ पुण्यमाहः कुरुवा (शांति) १५२.११ पुण्यादेव प्रव्रजन्ति (वन) २००.१०४ पुण्याहवाचने नित्यं (अनु) १०.५० पुत्रगडया त्वया राजन (द्रोण) १.३६ पुण्डरीकानिमा माति (स्त्री) १७.३१ पुण्यमेतत्तश्चतत्स्वर्ग (अनु) १४६.५४ पुण्या द्वारवती यत्र (वन) ८.२४ पुण्याहवाचने राज्ञः (वन) ६८.८ पुत्रजन्म परीप्सन्वै (आ) १३८.७६ पुण्डस्य पुण्डाः प्रख्याता:(आ)१०४.५५ पुण्यं चाख्यायते दिव्यं (वन) १०.५ पुण्यानामपि तत्पुण्यमत्र(वन) ६०.३२ पुण्याहे वाच्यमाने (मौ) २.१५ पुत्रजन्म परिप्सन्वै (आ) १६७.२ पुण्ड्रस्यापततो नामं (कणं) २२.१४ पुण्यं तीथंबरं दृष्ट्वा (शल्य) ५४.११ पुण्यानि यानि कुर्वीत (शांति) १६५.२४ पुण्ये विरो सुराष्ट्रषु (वन) ८८.२३ पुत्रजन्म प्रतीक्षन्वै स (आ) १७.१७ पुण्ड्रा भर्गाः किराताश्च (भीष्म)६.५१ पुण्यं त्रिलोकविख्यातं (अनु) १६५.३० पुण्यान्धसुखस्पर्णी (वन) १४५.४६ पुण्ये तीर्थवरे तत्र (शल्प) ४६११ पुत्र तव महाराज (भीष्म) ११.१२ पुण्यकर्मभिराख्याता (शांति) २२८.६ पुण्यं दंतवनं राजन (शल्य) ३७.२७ पुण्यान्न कामयेलो (वन) १२८१५ पुण्येन चरता राजन् (वन) १५.२३ पुत्रत्वमगमताजं (शांति) ४६. पुण्यकर्मकृदेवासी (आ) ९७.२० पुण्यं पद्मसरोयुक्तं (वन) १५८.३७ पुण्यान्यपि च तीर्थानि (आ) २१४.६ पुण्ये भागीरथे तीरे (शांति) १५ पुत्रत्वमधिगच्छाव (वन) २०३.३२ पुण्यकृद्भिर्महासत्त्वं (वन) १८२.१७ पुण्यं प्राणान्धारपति (भा) १५५.२५ पुण्या पुण्यतमैजुष्टा (भीष्म) ६.२६ पुण्येषु त्रिषुलोकेषु (शांति) २२८.२० पुषत्वे कल्पयामास (वन) १०७.६३ पुण्यक्षयमनुप्राप्य पतन्( शल्य) १७.६६ पुण्यं भवति कर्मेदं (शांति) ११.५ पुण्यापूण्यस्तथा गन्ध (शांति) १८४.१४ पुण्यैः पुष्पैः सदा (शल्य) . ३७.७ पुत्रदारकुटुम्बेषु (शांति) १७४.२६ पुण्यगन्धान पद्मपात्रं (द्रोण) ६६.२५ पुण्यं यशस्यं स्वयं (द्रोण) ५४.५४ पुष्यामृद्धिमा भूमि यो (अनु)६२.६७ पुग्यो गन्धः पृथिव्या (भीष्म) ३१.६ पत्रदारकूटम्बेष (शांति) ३२९.३० पुण्यतीर्थ सुसलिल (अनु) १६५.२४ पूण्यं श्रत्वंतदात्यानं (भीष्म) १८.१३ पुण्यां चेमामहं दिव्यां (उद्योग) १३.२५ पुण्योऽयमितिहासाख्यः (स्वर्ग) ५.३६ पत्र वारजसोकोषं (शांति) ३०१.७० पुष्यतीर्थानुसंयानं बघ्र (आ) २.१२३ पुण्यं हिमवतः पादं (द्रोण) ८०.२४ ।। पुण्यां हैमवती देवी (शल्य) ४.५२ पुत्र आत्मा मनुष्यस्य (वन) ३१३.७२ पुत्रदारविनाशोऽत्र (वन) १९३.१६ पुण्यतीर्थाभिषेकं च (वन) २००.६४ पुण्या क्षे म्यया वाचा (द्रोण) ३.१० पुण्यावसथान्वीर (आश्व) ५६.१४ पुत्र एको मम ब्रह्मस्(उद्योग)३५.२८ पुत्रदारैः महान् (शांति) ३३१.४७ पुण्यदेशनिवासाच्च (वन) १८४.२१ ।। पुण्य योनि पुण्यकृतो (आ) १०.१६ पुण्याश्च गन्धा: शद्वाश्च(सभा) ८.३६ पुत्रका न विहास्ये वः (सभा) ७६.२१ पुत्रदारैः सुखंचव (शांति) २२७.३ Jain Education Intersalon For Prve & Personal Use Only wwwalibrary
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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