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________________ भीमन्महाभारतम् : : श्लोकानुत्रमणी तौ दानवौ हरिहत्वा (शांति) ३४७.७४ तो पार्थिवानां मिषतां (आ) १९३.६ तौ रथौ वीरसंपन्नौ (विरा) ५८.१४ हौ शोणितोक्षितंत्रि(द्रोण) १३६.२६ तौ हि वीरौ महेष्वासो (कर्ण) ६.६४ तो दूरात् सात्यकि (भीष्म) ५४.१०० तौ पौत्रो तव धमों (द्रोण) २५.२८ तौ रथो सूर्यसकाशो विरा) ५७.१५ तौध त्वा युगपद्वीरौ (द्रोण) १२८.३४ तो हि संजय दुःखातौं (शल्य) ६४.१८ तो दृष्ट्वा क्षुत्पिपासा (उद्योग)९६.१८ तौ प्रदक्षिणसव्यानि (आ) १३४.३४ तो रोक्मणेयमागम्य (वन) १६२२ तौ सखायौ पुरा ह्यास्तां (अनु) ६.६ तो हृष्टरूपी संप्रेक्ष्य (द्रोण) १०२.३१ ती दृष्ट्वा तु व्याति (द्रोण) १०१३६ तो प्रबद्धोरणे दष्टवा (द्रोण)१६०.४६ तो लब्धसंज्ञो नवरी (वन) २८६.७ तो स जित्वा महाराज(भीष्म)८३.२३ त्यक्तग्राम्यसुखाः पार्था(उद्योग)६०.६५ तो दष्टवा नारदो (शांति) ३४३.३६ तो प्रयाavaratri... तो विवादमनुप्राप्ती (उद्योब) ६४.८ तो सम्वधानावनिश (कर्ण) १०. त्यक्तजीवस्य चैवास्थ (शांति) १५३.६० तो दृष्ट्वा पतिती भूमी(वन) २८६.३ तौ प्रविधय महात्मानौ आश्व) ५२.३७ तो विहाय समाकान्तो (उद्योग) ६४.३ तो समाजघ्नतर्वीग (विरा) ५६.१३ त्यक्त द्रव्यः संवसेन्नेह (उद्योग)४५.१३ तो दृष्ट्ग पाषती योज(मा)१६७५१ तो प्रविष्टौ महासेना (विरा) ३२.२० तो बिहुत्य यथाकाम (आ) २१८.८ तो समेत्यमहात्मानौ (अन) २६.२३ त्यक्तमानमदक्रोधा (आश्व) ६०.३७ तो दृष्ट्वा प्रतिसरब्धा(द्रोण) १०२.२८ तौ प्रहस्य हषीकेश (वन) २०३.२४ तो वीरो दद्दशुः स ब (बिग) ५६.१२ तौ समेतौ महात्मानी (शल्य) ५५.४१ त्यक्त में जीवितं (उद्योग) ५८.१७ तो दृष्टवा पौरवर्गस्तु (अनु) ५३.४५ तो मण्डलानि चित्राणि(द्रोण) ३६.३० तौ वीरौ शरबन्धेन (वन) २८६२ तो समेतौ महायुद्ध (कर्ण) २३.२ त्यक्तवाक्यानृतस्तात(विरा) २८.२६ तो दृष्ट्वा समरे ऋद्धो (भीष्म) ७८.८ तौ मन्नियोगाह (वन) ४७.१४ तो पवित्र नदन्ती (आ) १ ३.४१ तो समेतौ महायुद्धे (भीष्म) १००.५२ त्यक्तश्रियं भर्तृ हीनाम (वन) ६४५२ तो देव गन्धर्व मनुष्य (कर्ण) ६४.६७ तो मुक्ती सायको ताभ्यां (वन) ३८.१४ तौ वृषविवनदन्तौ (द्रोण) १५.१५ तो समेत्य महाराज (सभा) २६.१३ त्यक्तस्य पाण्डुपुत्राणां (आ) २.१४६ तो नासत्यावश्विनी (आ) ३.६ तौ मुनी सर्वधर्मज्ञौ (सौप्तिक) १४.१३ तो वृषाविब नर्दन्तौ । द्रोण) १४५.७५ तौ समेत्याजुनं वीरौ (द्रोण) ३०.३ त्यवतहिंसासमाचारा (अनु)१४४.१० तो निहत्य पृथक् (विरा) ३३.८ तो मुहूर्त समाश्वस्य (शल्य) ५७.७ तो व्यवाहरता तत्र (बिरा) ३२.२४ तोस राजा जरासंघः (सभा) १४.४४ त्यक्ता तेनाल्पपुण्येन (वन) ६७.१७ तो न्यवारयता श्रेष्ठी(द्रोण) १९२.३१ तौ मुहत समावस्य(पल्य) ५८.३१ तौ व्यवाहरतां युद्ध (विरा) ५८.४६ तो सत्यकि महाराज (कर्ण) १३.१४ स्यक्ता तेनाल्पभाग्येन (वन) ६७.१६ तो परस्परमासाद्य (बोण) १४.६८ तौ यात्वा पुरुषव्याघौ(उद्योग) ७.७ तो वृषाविन नदन्ती(शल्प) १२.८ तो सायकरवच्छिन्ना (द्रोण) १६६.४४ स्यक्तात्मानः पार्थिवा(उद्योग) ४८.२६ तो परस्परमासाद्य (द्रोण) १८६.२० तौ युध्यमानी संरब्धौ(उद्योग) ६४६ तो शङ्खशब्देन निनाद (कर्ण) ६४.६२ तो सायको महाराज (कर्ण) १५.४१ त्यक्तात्मानः सर्व एते (शाति)१०१.१६ तो परस्परमासाद्य (शल्य) ५७.१६ तौ युध्यमानौ समरे (भीष्म) ७३.२३ तो शरश्छादयामास (द्रोण) १८६.३४ तो स्विमात्रौ प्रस्वेदं (द्रोण) १७८.३० त्यक्तात्मानः सह (उद्योग) २.२६ तो परस्परवेगाच्च (द्रोण) १५.२६ तो रथस्थो नरव्याघ्रौ (द्रोण) ३०.११ तो शरैश्छादयामास (द्रोण) १८६.३७ तौ हताश्वौ विभिन्ना(विरा) ६१.४५ त्यक्ता वयं तु भवता(आश्रम) १०.१८ तो परस्परवेगाच्च (कर्ण) १५.४२ तो रयात्सिहसंकाशी (द्रोण) ३०.१२ तो शिलीमुख विद्वानो(शल्य) २६.१६ तो हत्वा समरे हन्ता (कर्ण) ४०.१७ त्यक्ताहारेण भवता (शांति) ३५८.८ तो पाण्डवेयौ परितः (कर्ण) २४.३६ तौ रथाभ्यां रथश्रेष्ठो (आ) २२६.१ तौ शूरो समरे राजन(कर्ण) १५.३६ तो हि वीरौ महेष्वासौ(कर्ण) ७.२ त्यस्तै व्ययद्भवति(उद्योग) ४३.३९ Jain Education Intersalon For Private Personal use only www.alinelibrary.org
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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