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________________ श्रीमन्महाभारतम् :: श्लोकानुक्रमणी २११ जानामि ते स्थिति (आ) १०३.२० जानासि त्वं क्लेश (उद्योग) २६.१८ जामदम्य महात्मानं (मा) १३०.५७ जाम्बूनदमयः श्रीमान् (भीष्म) ४७.३३ जास्थ्यामाहुति: काथ: (वन) १२.३० जानामि त्वां परिश्रान्त (वन) १८८.९६ जानामि त्वं सञ्जय (उद्योग) २६.४७ जामदग्न्य रणं राम (भीष्म) १३.७ जाम्बूनदमया यूपाः (दोण) ६६.१२ जालपादभुजो तो तु (शांति) ३४३.३६ जानामि त्वामहं वायो(शांति) १५६.४ जानासि दाशार्ह मम (कर्ण) ६६.७२ जामदग्न्य वचः श्रुत्वा (उद्योग) ६७.१ जाम्बूनदमयी वेदी ध्वजे (विरा) ५७.२ जालं ते योजयामासुनिः (अनु) ५०.१४ जानामि त्वां महाबाहो (भीष्म) १०८.४५ जानासि भद्रे यत्कार्य (आ) ४८.३ जामदग्नयश्च रामश्च (सभा) ८.१६ जाम्बूनदमयो भूत्वा (आ) २३.१ जालं सुविततं तुषां नब (बनु) ५०.१६ जानामि त्वां महाभाग (द्रोण) ६४.११ जानासि मे जीववि (उद्योग) १४४.२ जामदग्यश्च विप्राय (अनु) १३७.१२ जाम्बूनदमयः पुङ्ख (विरा) ५८.३६ जावमुत्तममास्थाय (द्रोण) ११६.५२ जानामि त्वां युधा (भीष्म) १४.५० जानासि हि यथा सत्ता (वन) २३८.६ जामदग्न्यश्च कोन्ते (अनु) १८.११ जामनदविचित्र च (द्रोण) ११६.४० जाहस्यमाने सुप्रीत सुख (वन) २३३.२ जानामि नाहं मुह्यामि(वन) १८५.१७ जानासि हि यथैतेन (उद्योग) ७८.१७ जामदग्न्यसमः कुन्ति (आ) १२३.४३ १२.१३ जाम्बूनदविचित्र च (शल्य) चित्र ४.१९ जाह्नवोतीरसंभृतां मुदं (अनु) २६.५५ जानामि पाप स्वकृतैः (अनु) ११८.३ जानीमः शरणं गप्ता (उद्योग) १२११ जामदग्न्यान्मया शस्त्र (विरा) ४८.१८ जाम्बनदविचित्रण भीष्म ७ जाह्नवीपुलिनोत्थामिः (अनु) २६.५४ जानामि पुत्रं दशवर्ष (वन) १९२.६३ जानीमहे देवितं (सभा) ६३.१० जामदग्यान्महाघोर (कर्ण) ६.४५ ज १ जाम्बूनदस्य शुद्धस्य (द्रोण) ६८.१२ जिगाय च सुरान् (उद्योग) ५२.११ ER MELA | जानामि प्रणिधानं ते (वन) ३०३.१६ जानीयुर्य दि मे वृत्त (ति) ८६.१६ जामदग्न्याभ्यनुज्ञातमस्ते (द्रोण) १.४६ जाम्बूनदेन दाम्ना च (अनु) १४.२४२ जिगीषमाणस्तु गृहे तदा (अन) २.४५ जानामि वीर्य च (वन) १२०.१२ जानीर्ष त्वं यथा राजा (वन) ६०.१३ जामदग्न्येन रामेण (शांति) ३६०.१७ जाम्बूनदेष्वाभरणोषु (द्रोण) १६३.२० जिगीषमाणाः संग्रामे (द्रोण) १४.२ जानामि समरे वीयं (भीष्म) १२२.१४ जानीषे हिरणे (द्रोण) १११.१३ जामदग्न्येन रामेण (वन) २१४.१३ जायन्ते च म्रियन्ते (शांति) ३१८.४६ जिगीषया ततो देवा (आ) ६.६ जानाम्यहं देवि गुणा (अनु) जिगीषस्तान्नरव्याघ्रो (द्रोण) १०५.३६ जामदग्न्येन रामेण (भीष्म) ४६.११ १.२४ जानुभ्यामवनी (शान्ति) २८४.७१ जायन्ते मानवास्तत्र (भीष्म) ६.३४ जानाम्यहं छू तमनर्थ मूलं (सभा)५८-११ जाने त्वां बालिश (अनु) जामदग्न्येन रामेण (उद्योग) १६८.३३ जायन्ते विवृतास्याश्च (भीष्म) ३.४ जिघांसन्तं नरव्याघ्र (बिरा) ५८.४६ ४१.२२ जानाम्यह पाण्डवेय (आ) २१४.२४ जानेमेस्पो बीवी vve जामदग्न्यन म (उद्योग) १८३.३ जावले मायोजित राजघासन्त युधा श्रष्ठ भाष्म) ४४.५ जानाम्यहमिदं युद्ध (आश्व) ८०.६० जापकानां फलावाप्ति (शांति) १९६.३ जामदायन समसमा ११ जायमानं हि पुरुष य(शांति) ३४८.७३ जिघांसन्त: शतानीकं (भीष्म) ७६.५३ मा युगप्रभाव त्वां (मा) ४२.३ प लानि मPिE जामदग्न्येन रामेण सर्वा (बा) ६७.७६ जारासंघिर्भगदत्तो (आश्चम) ३२.१० जिघांसते देवरिपून्सुरेश्वरः(कर्ण)८०.३५ जानाम्येता महाराज (उद्योग) ७२.८५ जापकार्थमयं यत्नो (शांति) २००.२८ जामदग्या ह्यातयशा (ब्राण) जिघांसन्तो नरव्याघ्राः (कर्ण) ११. जानाम्येव महाबाहो (भीष्म) १२२.२३ जामदग्न्यः परा रामः (भीष्म) १४.४७ जामयः पूजिताः (आश्रम) २६.६ जारासन्धिमागंधाश्च (उद्योग) ५७.८ जिघांसु पुरुषव्याघ्र (कर्ण) ६०.५ जानासि च यथावृतं (आ) १०३.१४ जामदग्न्यं प्रति विभो (अनु) २४.३० जामीशप्तानि गेहानि (अनु) ४६.७ जारासन्धिः सहदेवो (उद्योग) ५०.४६ जिघांमुभिस्तान कुशलः (कर्ण) nt... For Private Person Use Only ww.janelibrary.org
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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