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________________ भीमन्महाभारतम् :: श्लोकानुकमणी १८३ कर्तमर्हसि राजेन्द्र (आश्रम) ३६६ कमजोऽयं पृथग्भावो(शांति) २३२.२६ कर्मणा मनसा वाचा(शांति) ३४५.२६ कर्मणामविभागज्ञः प्रेत्य (वन) १६२.७ कर्मण्येवाधिकारस्ते (भीष्म) २६.४७ कर्तृमस्मद्विधवा स्ततो(आ)१६६ १२ कर्मणः पृथिवीपाल मम(आ) ३.१८५ कर्मणा तेन समरे तव (भीष्म) ११७.१३ कर्मणामस्य कौन्तेय (अनु) १४८.५८ कर्म तत्कुरुते तर्षाद (शांति) २११.१० कर्तुमुत्सइते चोके (शांति) २२७-६२ कर्मणः फलनिव ति (अनु) ६.६ कर्मणा दुष्कृतेनेह (अनु) १४३७ कर्मणाऽमी भान्ति देवाः(उद्योग) २६.६ कर्मत: शिलतो वाऽपि(कर्ण) ५१.७८ कर्मणः फलमाप्नोति(शांति) •४१.११ कर्मणा प्राप्यते स्वर्गः सुखं (स्त्री)३.११ कर्मणा पुनरेवाह (अनु) ११७.२६ कर्मतोऽन्यानि (शांति) २६६.१८ कर्तृत्वाच्चापि सर्गाणा (शांति)३१५.७ कर्मणः सुकृतस्याहुः (भीष्म) ३८.१६ कर्म कर्मणः सुकृतस्याहु (भीष्म) ३६.१६ कर्मणा फलमस्तीह तथैव (वन) ३१.३६ कर्मणा यत्र पापेन (शांति) २५७.४७ कर्म त्वेके प्रशंसन्ति (शांति) २४१.६ कर्दमश्च महानगो (आ) ३५.१६ कर्मणस्तस्य घोरस्य(वन) २०८.२१ कर्मणा बद्धषते जन्तु (शांति) २४१.७ कर्मणा येन केनैव मदना (आ) १४०.७२ कर्मण ने जन जति कर्मदायादवाल्लोक: कर्म अनु) १७३ कबुंगः शितिपादास्तु (छोण) २३४८ कर्मणस्तस्य दुवंस (द्रोण) १५६.६ कर्मणा बाध्यते रूप (शांति) २१०.४५ कर्मणा येन तेनेह पा(वन) २०७.५२ कर्मदोषश्च वं विद्वन्ना(वन) २१६.१२ कर्माने पुनदेहम (वन) १८६.३१ कर्मणा केन सिद्धोऽयं (उद्योग)१२.१६ कर्मणा बीजभूतेन (शांति) २१३.१५ कर्मणा येन तेनैव (शांति) १४०.३८ कर्मनिष्ठांश्च बुयेथाः (शांति) २०६ कर्म केविप्रशमन्ति (आव) ५१.३० कमणा क्षत्रियाश्चत ( उवाग) १०१.६ कोणा बुद्धिपूर्वण (शात) १३०.७ कर्मणा येन येनेह (अन) १११.४१ कर्मन्यासकृताना च (अनु) १६.६२ कर्मक्षयाच्च ते सर्वे (आश्व) १७.४० कर्मणो च समस्ताना(अनु) ७१ कर्मणा मनसा वाचा(वन) १६१..३१ कर्मणा वै पुरा देवा (शांति) ६४.२३ कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि (भीष्म) २७.१५ कर्म खल्विह कर्तव्यं जानता(वन) ३२.३ कर्मणाऽऽचरितं पूर्व (उद्योग) ६३.२१ कर्मणा मनसा वाचा (अनु) १४४.२ कर्मणां श्रुतपुण्यानां (वन) ३१.३५ कर्मभिः शुचिभिः देवि (अनु) १४३.४८ कर्म च श्र तसम्पन्नं (वन) २०७.९७ कर्मणा जायते जन्तुः (आश्व) ५१.३१ कर्मणा मनसा वाचा (अनु) १४७.५० कर्मणा सुनुशं सेन तस्य(द्रोण) १९६३३ कर्मभिः पार्थ नानात्वं (अनु) १०२.२ कम वात्महित कार्य (गांति) १३६.८३ कर्मणा जायते प्रेत्य (शांति) २४१.८ कर्मणा मनसा वाचा (आश्रम) १६.१६ कर्मणा स्वनुरक्तानि (शाति)२८०.१७ कर्मभिश्चापि सम्भैः (अनु) ७३.३ कर्म चेच्छामि वै (विरा) ६.५ कर्मणा तद्विधस्वेह (शव) २.१४ कर्मणा मनसा वाचा आश्व) ४.२१ कर्मणाऽऽहः सिद्धिमे के (उद्योग) २६.६ कर्मभिश्चिन्तितो लोको (वन) ३०.२ कर्म चैतदसाधूनां (वन) २०७.४६ कर्मर्णा तात पुण्यानां (स्वर्ग) ३.२३ कर्मण। मनसा वाचा (आश्व) २०.८ कर्मणैतेन राजेन्द्र धर्मश्च (सभा)४५.४२ मंभिः तसंपन्न (शांति) २२०.१७ कर्म चोकिञ्चिदन्यत् (बन) २०७.४४ कर्मणा तु प्रशस्ताना (उद्योग) ३८.२३ कर्मणा मनसा वाचा(णांति) ३४५.२७ कर्मणव हि संसिद्धिमा (भीम)२७.२० कर्मभिस्ते मिरानन्दा(शांति) २४४.२१ कर्मज विह मन्यन्ते (शांति) २२२.२४ कर्मणा तेन पापेन (आश्व) ८१.११ कर्मणा मनसा वाचा(शांति) ३४६.६ कर्मणो ह्यपि बोदव्यं (भीष्म) २८.१७ कर्म भूमिकृतं देवा (अनु) ११८.४ कर्मज बुद्धियुक्ता हि (भीष्म) २६.५१ कर्मणा तेन पापेन लिप्यते (वन) ३०.४२ कर्मणा मनसा वापि(अनु) ८.१७ कर्मण्यकर्म यः पश्यदे (भीष्म)२८.१८ कर्मभिः स्वकृतः सा तु(आ) १६६.७ कर्मजंर्वन्धनबंद्धास्त (शांति) ३००.१८ कर्मणा तेन पापेन (द्रोण) १९८.१० कर्मणा मनुजः कुर्वन (अन) ११४.३ कर्मव्यवसिते तस्मिन्सा(आ) १२०.४० कर्मभूमिरियंराजनिह(शांति) १६७.११ कर्मणः पुरुषः कर्ता (वन) १८३.५७ कर्मगा तेस पार्थव (भीष्म) १०२.१८ कर्मणामनुसन्तानं तेज (शल्य) ६२.३१ कर्मन्धसुकरे सक्तं (द्रोण) ८.२६ कर्म यच्छुभमेवेह (शांति) १६०.२४ For Persone el
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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