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संबोध
॥ ६१ ॥
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अगीतार्थs अगीतार्थ अगीतार्थ- निरपेक्षी आचार्यकृ- आचार्यअ- उपाध्याय - उपाध्याय गीतार्थंकृस्थितकृत- स्थितकृत- अस्थित निरपेक्षा तकरण
कृतकरण कृतकरण अकृतकरण तकरणसमवस्त्र
करण
करण
कृतकरण
४१
मूल
५१
६
४
४
०
०
२०
५१
४१
०
o
०
२५
१५
४
मूल
०
२५
२०
४
०
०
मूल
६१
६
४१
४
पारांचिक अनवस्था-अनवस्था
प्य
अनवस्था
प्य
छेद
६
४१
४
०
प्य
मूल
छेद
६
120 120
६
४१ ४१
.४
मूल
०
४१
४
०
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मूल
छेद
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६१
४१
४
उपदार यंत्र |४|६|५ उत्कृष्टापत्तौ गुरुउमं
उठउ । १२१२१७१ उ
छेद त्कृष्टापत्तौ लघुउउ १५
उत्कृष्टापत्ती
६.१
४१
४
. . .c
लघुक
गुरुतरं ममउ० देघु
तिरंमपउ |६ लघुतमं
मउ ४ |
प्रक●
॥ ६१॥
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