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________________ प्रतिष्ठा ROCARE-% A MREKAttri शार्दूलविक्रीडितं छंदः। स्फूर्जत्केवलबोधसिंधुविसरे यद् विंदुवद् भासते, यस्य श्रीपरमेष्ठिनो जिनपते भेयसूनोस्त्रयं । लोकानां सकलासुभृत्करुणया धर्मो द्विधा द्योतितस्तस्मै श्रीमदनंतचिन्मयकलासंविभ्रते स्तानमः॥१॥ अर्थ-जा श्रीयुक्त परमेष्ठी नाभिपुत्र जिनेन्द्रका दैदीप्यमान केवलज्ञानरूप समुद्रका फैलावमें तीनलोक विंदु समान भास हैं। ऐसा समस्त पाणीनिकी करुणाकरि द्विप्रकार मुनि श्रावकरूप धर्मको उद्योत कियो सो श्रीमान् अनन्त ज्ञान दर्शन सुखकलाने धारण कर्ताक अर्थि नमस्कार होहु ॥१॥ तथा सर्वानर्थ्यगुणार्णवान् जिनवरान् स्वर्मोक्षसिद्धिप्रदान् भव्यानां हितकाम्यया प्रतिहतैकांतप्रवादामयान्। धर्म तीर्थममुत्र दानयजनत्यागप्रतिष्ठापनाशुद्धयुबोधविधानकैर्बहुविधैर्यैरुक्तमानौमि तान् ॥२॥ अर्थ-अजित आदि समस्त प्रार्थनीक गुणके समुद्र पर स्वर्ग मोक्षकी सिद्धिके देनेवाले, अर भव्य जीवनिक हितकी कामनाकरि दूर कियो है एकांत हठरूप योग जिनने ऐसे जिनेन्द्रकूनमस्कार करू हूं अर तिन जिनेश्वर इसलोकमें दान यजन साग भाव पर प्रतिष्ठाकीशुद्धि | प्रगट करनेवाले बहुप्रकार विधान करि धर्मतीथ जो है सो प्रगट कियौ ॥२॥ श्रीमद्वीरजिनेंद्रभास्करकराः स्याद्वादमुद्रांकिता जीयासुर्नयभेदभावनपरा अज्ञानहृद्ध्वांतहाः । चार्वाकादिमतानि यत्र नितरां खद्योतपद्योपमान्यासन्ते खलु नित्यमात्मधिषणामार्गास्तु संचारिताम् ॥ ३ ॥ ___ अर-तथा श्रीमान स्याद्वाद मद्राकरि अंकित श्री वीरजिनेन्द्ररूप मूर्यके किरण नयभेदके भावनमें तत्पर अज्ञानरूपी अन्धकार दूर करने वाले जे हैं ते जयवंते वर्ती जहां बौद्ध चार्वाकादिकके मिथ्या मतरूप खद्योत ज्यों आगिया नाम पशु (जंतु) विशेषका मार्ग की उपमान प्राप्त होय हैं और निश्चय करि नित्य ही आत्मीक ज्ञानके मार्ग सम्यक् प्रकाश भावने प्राप्त होय हैं ॥३॥ द्रव्यभावमलनाशनतो ये, स्वात्मबुद्धिमवलंब्य निस्तुषाम् । केवलावगममाप्य चिन्मयं ज्योतिरभ्ययुरीड्यते मया ॥ ४॥ अर्थ-जे द्रव्य कर्म जे ज्ञानावरणादि प्रकृति अर भावमल जे ज्ञानावरणादि प्रकृति योग्य रागद्वेष कारण इन दोन्यूका अत्यंत नाशतें PSISALAMNURSELIGENOMORROCERGCS ___JainEducational For Private & Personal Use Only rainelibrary.org
SR No.600041
Book TitlePratishthapath Satik
Original Sutra AuthorJaysenacharya
Author
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year
Total Pages316
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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