SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 40 500 40 500 40 500 40 पुत्र हाथ पैर से कोमल, संपूर्ण अंगोपांगवाला, थोडी भी न्यूनता बिना का होगा। तथा यह पुत्र शरीर के सभी उत्तम लक्षणों से याने हाथ-पैर की रेखाओं विगेरे से और व्यन्जनों से याने तिल, मसे आदि से युक्त होगा। शरीर के मान- उन्मान, प्रमाण, वजन और ऊंचाई से संपूर्ण होगा। यह पुत्र सर्वांग सुन्दर, सुजात व चन्द्रमा के समान सौम्य कान्तिवाला, मनोहर, वल्लभ है दर्शन जिसका ऐसा होगा। हे देवानुप्रिये! ऊपर वर्णित ऐसे उत्तम गुणोवाले पुत्र को तुम जन्म दोगी। ५४) ‘“जब वह पुत्र बचपन छोडकर आठ वर्ष का होगा तब उसे संपूर्ण विज्ञान का परिणमन होगा, बाद में अनुक्रम से युवावस्था प्राप्त करेगा तब दान देने में तथा अंगीकृत कार्य का निर्वाह करने में समर्थ होगा, रणसंग्राम में बहादूर होगा, पर राज्यों पर आक्रमण करने में पराक्रम वाला होगा, उसके पास विशाल सेना और बहुत सारे वाहन वाला होगा, तथा राज्य का स्वामी ऐसा राजा होगा। अतः हे देवानुप्रिये! तुमने प्रशस्त स्वप्न देखे है यावत् मंगल व कल्याण करने वाले स्वप्न देखे है।" इस प्रकार सिद्धार्थ राजा, दो तीन बार इस प्रकार कहकर त्रिशला क्षत्रियाणी की बहुत प्रशंसा करने लगे। ation International For Private & Personal Use Only 49 40 500 40 500 40 500 40
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy