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________________ 0000000000000 है, उसके पास आता है। उसके पास आकर ज्योंही श्रमण भगवान महावीर को देखता है, तुरन्त ही उन्हे विनयपूर्वक नमस्कार करता है। प्रणाम करने के पश्चात् उस देवने सपरिवार देवानंदा ब्राह्मणी को अवस्वापिनी नीद्रा में लीन करता है। ऐसा करने पर परिवार सहित देवानन्दा गाढनिद्रा के अधीन बन जाती है। तत्पश्चात् अस्वच्छ पुद्गलों को दूर कर, स्वच्छ पुद्गलों को उनके स्थान पर रखता है। ऐसा कर" हे भगवान! मुझे इस कार्य को करने की आज्ञा दीजिए " ऐसा कहकर अपनी दोनो हाथ की हथेलियों के संप्ट द्वारा भगवान को थोडी भी पीड़ा ना हो इस प्रकार ग्रहण करता है, इस प्रकार से यह देव, श्रमण भगवान महावीर को ग्रहण करके जिस तरफ क्षत्रियकुण्ड गाम नगर है, उस तरफ जहां सिद्धार्थ क्षत्रिय का घर है, उस घर में जहां त्रिशला क्षत्रियाणी रही हुई है, उसके पास आता है, तत्पश्चात परिवार सहित त्रिशला क्षत्रियाणी को भी गाढी याने घोर नीद्रा में रखता है, ऐसा कर वहां रहे हुए अशुद्ध पूगल परमाणूओं को दूर कर, स्वच्छ पुद्गल परमाणुओं को उसके स्थान पर फैलाकर, उन श्रमण भगवान महावीर को थोडा भी कष्ट न हो इस प्रकार त्रिशला क्षत्रियाणी की कुक्षि में गर्भतया रखते है, और उस त्रिशला क्षत्रीयाणी के गर्भ को वहां से लेकर जालंधर गोत्रवाली देवानंदा ब्राह्मणी की कुक्षि में गर्भरूप रखते है, इस प्रकार सब अच्छी तरह कार्यकर वह देव, जिस दिशा से आया था उसी दिशा की ओर वापस चला गया । 100000000 ton International For Bee Penal Use Only
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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