SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १. वहाँ वह अकेला साधु और अकेली साध्वी को साथ में रहना नहीं कल्पता । २. वहाँ अकला साधु आर दा साध्विया का साथ म धु और दो साध्वियों को साथ में रहना नहीं कल्पता । ३. वहाँ दो साधु और एक साध्वी को साथ रहना नहीं कल्पता हैं। ४. वहाँ दो साधु और दो साध्वियों को भी साथ रहना नहीं कल्पता । वहाँ कोई पांचवा साक्षी रहना चाहिये, फिर वह बाल साधु या बाल साध्वी अथवा दूसरे लोग उन्हें देख सकते हो दूसरो के दृष्टिगत होते हो अथवा घर के चारों तरफ के दरवाजे खुले हो ऐसी अवस्था में उन्हें अकेला रहना कल्पता 50% 0% (२६०) चातुर्मास में रहे हए और आहारादि लेने के लिये गृहस्थ के घर में प्रवेश किये हए साधु को जब रूक रूककर वर्षा बरसती हो तब उसे बगीचे के नीचे या उपाश्रय के नीचे चला जाना चाहिये । वहाँ अकेला साधु को अकेली घर मालीकिनी के साथ रहना नहीं कल्पता। यहाँ भी ऊपर कहे अनुसार चार मांगे समझना । international For Pilvare & Personal use only 199
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy