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________________ 4050140 40 500 40 होती है तथा उन घरों को गृहस्थों ने अपने लिये अच्छे किये हुए होते हैं, गृहस्थों ने काम में लिये हुए होते हैं और अपने रहने के लिये जीवजंतु से रहित किये हुए होते हैं, इसी कारण से कहा जाता है कि श्रमण भगवान महावीर वर्षा ऋतु के और बीस दिन बीतने पर चातुर्मास में पर्युषणा किया । (२२६ से २३०) जिस प्रकार से श्रमण भगवान महावीर ने एक महीना बीस दिन बीतनेपर पर्युषण किया । उसी प्रकार • गणधरों ने, उनके शिष्यों ने, स्थवीरों ने, श्रमण निर्ग्रन्थों ने, आचार्योंने, तथा उपाध्यायोंने, और साधु भगवन्तो ने, वर्षा ऋतु के एक महीना बीस दिन बीतने पर वर्षा (२३१) जिस प्रकार हमारे आचार्यो, उपाध्याया यावत् वर्षा वास रहे हैं । उसी प्रकार हम भी एक महीना और बीस दिन के बीतने पर पर्युषणा करते है। पाच पंचमी की रात्रि उल्लघंन करना उचित नहीं अर्थात् एक ऋतु इस समय से वर्षावास रहना उचित है, किन्तु भाद्रवा सुदि महीने सहित बीस दिन की अन्तिम रात्रि उल्लंघन करना अनुचित है, अन्तिम रात्रि के पूर्व ही वर्षावास याने पर्युषणा करना ही उचित है। tion International For Private & Personal Use Only 189 40 500 40 4500 40 500 40
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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