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काश्यप गोत्रीय स्थवीर गोदास से यहॉ गोदास गण नामक गण निकला । उस गण की चार शाखाएँ कहलाती
21. तामलिप्तिका, 2. कोटि वार्षिका, 3. पंडुवर्द्धनिका, और 4. दासी खर्बटिका । है (२०८) माढर गोत्रिय स्थवीर आर्य संभूति विजय के पुत्र समान प्रसिद्ध ये बारह स्थवीर अन्तेवासी थे ।
1. स्थवीर नंदन भद्र, 2. स्थवीर उपनंद, 3. स्थवीर तिष्यभद्र, 4. स्थवीर यशोभद्र, 5. स्थवीर सुमनोभद्र, 6. स्थवीर मणिभद्र, 7. स्थवीर पूर्णभद्र, 8. स्थवीर स्थूलिभद्र, 9. स्थवीर ऋजुमति, 10. स्थवीर जंबु, 11. स्थवीर दीर्घभद्र, 12. स्थवीर पाण्डु भद्र
माढर गोत्रिय स्थवीर आर्य संभूतिविजय के पुत्री समान, प्रसिद्ध ऐसी ये सात अन्तेवासिनियाँ थी। 1. यक्षा, 2. यक्षदिन्ना, 3. भूता, 4. भूत दिन्ना, 5. सेणा. 6. वेणा और 7. रेण ये सात स्थलिभद्रजी की बहिने थी।
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