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________________ IRANDIRTAMIL (卐00000000 स्थविरावलि (२०१) उस काल और उस समयमें श्रमणभगवान महावीर स्वामी के नौ गण और ग्याहर गणधर थे । (२०२) प्रश्न. हे भगवान् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि श्रमण भगवान महावीर स्वामी के नौ गण और 5ग्याहर गणधर थे ? 卐 उत्तर : १. श्रमण भगवान महवीर के सबसे बड़े शिष्य इन्द्रभूति गौतम गोत्रवाले अणगार ने पांच सौ साधुओ को वाचना दी हुई है। 2. दूसरे अग्निभूति गौतम गोत्रवाले अणगार ने पांच सौ श्रमणों को वाचना दी है 3. छोटे गौतम गोत्रीय अणगार वायुभूति अणगार ने भी पांच सौ श्रमणों को वाचना दी थी, 4. भारद्वाज गौत्रीय स्थवीर आर्य व्यक्त ने पांच सौ श्रमणों को वाचना दी थी । 5. अग्नि वैशायन गौत्रीय स्थवीर आर्य सुधर्मा स्वामी ने पांच सौ श्रमणों को वाचना दी थी, 6. वासिष्ठ गौत्रीय स्थवीर मंडित पुत्र ने साडा तीन सौ श्रमणों को वाचना दी थी, 7. काश्यप गौत्रीय स्थवीर मौर्यपुत्र ने भी साडा तीन सौ श्रमणों को वाचना दी थी, 8. गौतम गौत्रीय स्थवीर अंकपित और हारितायन गौत्रीय स्थवीर अचल भ्राता ये दोनों स्थवीर तीन सौ तीन सौ श्रमणों को वाचना देते थे, 9. कौडिन्य गौत्रीय स्थवीर आर्य मेतार्य ★ (卐0000卐ONSON -
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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