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________________ 105 (१८८) अर्हन् श्री संभवनाथ के निर्वाण काल से बीस लाख क्रोड सागरोपम व्यतीत हुए, शेष पाठ श्री शीतलनाथ प्रभु की तरह समझना । वह इस प्रकार श्री संभवनाथ प्रभु के निर्वाण काल के बाद बयालीस हजार तीन वर्ष और साड़े आठ मास न्यून ऐसे दस लाख क्रोड सागरोपम व्यतीत होने पर श्री महावीरस्वामी का 5 निर्वाण हुआ इत्यादि सब प्रथम कहे अनुसार समझना । ONCE卐卐 (१८९) अर्हन् श्री अजितनाथ के निर्वाण काल से पचास लाख क्रोड सागरोपम व्यतीत हुए, शेष पाठ श्री है शीतलनाथ प्रभु की तरह समझना । वह इस प्रकार श्री अजितनाथ प्रभु के निर्वाण काल के बाद बयालीस 卐 हजार तीन वर्ष और साड़े आठ मास न्यून ऐसे एक लाख क्रोड सागरोपम व्यतीत होने पर श्री महावीर प्रभु का निर्वाण हुआ इत्यादि सब पूर्व लिखे अनुसार समझना । 152
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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