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________________ १२५) बहुत से देव-देवियां गमन-आगमन से बहुत शोर गुल हो रहा था। १२६) जिस रात को भगवान महावीर कालधर्म पाये उस रात में उनके मुख्य शिष्य गौतम गौत्रे इन्द्रभूति अणगार का भगवान महावीर ऊपर का प्रेमबंधन टूट गया, और इन्द्रभूति अणगार को अन्त बिना का उत्तमोत्तम 3 ऐसा केवलज्ञान और केवलदर्शन उन्पन्न हुआ। म १२७) जिस रात में श्रमण भगवान का निर्वाण हुआ उस रात में काशी देश के मल्लकीवंशक के नौ और कोशल देश के लिच्छवी वंश के दूसरे नौ गण इस प्रकार अठारह गण राजाओ ने अमावस्या के दिन अष्ट पहोर * का पौषधोवास कर वहां रहे हुए थे। उन्होंने सोचा कि भाव उद्योत याने ज्ञान रुपी प्रकाश चला गया है अतः अब हमें द्रव्य उद्योत याने दीपको को प्रकाश करेंगे। १२८) जिस रात में श्रमण भगवान महावीर कालधर्म पाये, उस रात में भगवान महावीर के जन्म नक्षत्र पर क्षुद्र क्रूर (दुष्ट) स्वभाव का २000 वर्ष तक रहने वाला ऐसा भस्मराशि नाम का महाग्रह आया था। OFF000000
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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