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भञ्जन प्र.कल्प
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| स्वाहा” ए मंत्र ७ वार कही स्थापवो. गुरू पासे मंत्र कही वासक्षेप करावयो. प्रभुनी जमणी बाजु कुंभ स्थापबो. दीपक स्थापन विधि :
तांवाना कोडियामां साथियो करावी रु. १) तथा पंचरत्ननी पोटली नं. १ अने सोपारी मूकाववी. तेमज १०८ तारनी दीवेट पण मृकाववी. पछी नीचेनो श्लोक (त्रण वार) कही घीनी वाढीथी अखंडधाराथी घी पूरावबुं.
ॐ घृतमायुर्वृद्धिकरं, भवति परं जैनदृष्टिसंपर्कात् ।
तत्संयुतः प्रदीपः, पातु सदा भावदुःखेभ्यः ॥ स्वाहा ॥ (आर्या ) पछी नीचेनो लोक बोली दीप प्रगटाववो.
ॐ अर्ह-पञ्चज्ञानमहाज्योति-मयोऽयं ध्वान्तघातने ।
द्योतनाय प्रतिमाया, दीपो भूयात् सदाऽर्हतः ॥ ( अनुष्टुभ् ) पछीथी अंदर माटीनुं खामणुं करावी तेना उपर दीपने स्थापन करवो. फाणस ढांकg अने गुरु पासे श्वासक्षेप * दीप उपर वासक्षेप करता नीचेनो मंत्र पण बोलवो :“ॐ अग्नयोऽग्निकाया एकेन्द्रिया जीवा निरवद्याहत्पूजायां निर्व्यथाः सन्तु, निष्पापाः सन्तु, सदगतयः सन्तु, न मे सङ्घट्टनहिंसा मईदर्चने स्युः ॥
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