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१-"ॐ नमः शान्तये हुं हुं हूं सः" अथवा अञ्जन प्र.कल्प
२-ॐ नमो खीरासवलद्धोणं, ॐ नमो संभिन्नसोआणं, ॐ नमो पयाणुसारीणं, ॐ नमो कुट्ठवुद्धीणं
जमियं विज्ज पउंजामि सामे विजा पसिजउ, ॐ अवतर २, सोमे २, कुरु २, वग्गु २, निवग्गु २, सुमणे ॥११५॥ |सोमणसे महु महुरे ॐ कविले कः क्षः स्वाहा"।
आ बेमांथी गमे ते एक अधिवासनामंत्रथी त्रणवार मोंडळ मंत्री ऋद्धि वृद्धि सहित सर्व जिनबिंबोने मोंढळy कंकण यांधवू. पंचांगस्पर्शविधिः
तेमन बीजा अधिवास मंत्रथी-'मुक्ताशुक्ति' अने 'चक्रमुद्राए करीने श्रावकोए विबोना मस्तक, बंने स्कंध अने बने धुंटण एम पांच अंगो पर स्पर्श करवो. तथा धूप उखेवघो. जिनाह्वान विधिः
पछी गुरुए 'परमेष्ठिमुद्रा' थी नीचेना मंत्रथी त्रणवार जिनाहान करवू :"ॐ नमोऽहत्परमेश्वराय, चतुर्मुखपरमेष्ठिने, त्रैलोक्यगताय, अष्टदिक्कुमारीपरिपूजिताय, इन्द्रपरि-18॥११॥
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