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अञ्जन
प्र. कल्प
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पूज्य गुरुदेवश्रीना करकमळमां विनीतभावे समर्पण
जेमनी मीठी मधुरी शीतल छाया मारा संयमी जीवननी पायारूप बनी, जेमनी आंतर प्रेरणा- मारी ज्ञानपिपासाने जीवंत बनावी रही छे, जेमनी असीम कृपा जीवनमंत्र बनी रहेल छे. अजातशत्रु, प्राकृतविद्विशारद, धर्मराजा, दादागुरुदेव परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय कस्तूरसूरीश्वरजी महाराजना पावन करकमळमां विनीत भावे समर्पण
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आ. श्री विजय अशोकचंद्रसूरि चरणरेणु सोमचंद्र वि.
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