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अञ्जन
प्र. कल्प
110411
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मंत्रो
• ह्रीँ अर्ह ॐ ह्रीँ " मोक्षद्वारे
"ॐ ह्रीँ अहे श्रीँ अ आ " ललाटे दक्षिणतः दक्षिणेतर नेत्रयोः
ई "
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" उ ऊ " कर्णयोः
," " ऋ ऋ" नासापुटयोः
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," लूलू " गल्लयोः
" ए ऐ " ऊर्ध्वाधोदतपङ्क्त्योष्ठयोः
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ओ ओ " स्कन्धयोः
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•,,, अं " मस्तके
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" अ: " जिहा
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" " ग घ " कण्ठे
क ख " मुखमण्डले
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अंगन्यास
मस्तक पर
ललाट पर जमणी बाजुए
बने आंखो पर
कानो पर नासिका पर
गालो पर
उपर नीचे दांत तथा होठो पर.
खभा पर
माथा पर
जीभना अग्र भाग पर
मुख पर
कंठ पर दादी पर
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॥७५॥
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