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२६. नेमिकुमार की बारात । चित्र के ऊपरी हिस्से में वधू राजीमती एवं अश्वारूढ़ वर नेमिकुमार । नीचे : विवाह भोज में काम लाये जाने वाले जानवर। (पृ० २३०)
२७. मन्दिर में विराजमान दश तीर्थकर। (पृ० २४२) २८. मन्दिर में विराजमान दश तीर्थकर । (पृ० २४८)
२६. प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभदेव) प्रथम राजा एवं समस्त-कलाओं, हस्त कौशलों तथा विज्ञान के गुरु । (पृ० २५४)
३०. हस्तकौशलों के गुरु रूप में ऋषभदेव द्वारा कुम्भकार-कर्म । (पृ० २५८) ___३१. ऋषभदेव का राज्याभिषेक : सिंहासनारूढ़ आदिनाथ, उनके तिलक करता हुआ इन्द्र तथा दोनों ओर संगीतज्ञ । (पृ० २६०)
३२. महावीर के ग्यारह गणधर। (पृ० २७६)
३३. कोशा के सम्मुख सारथि द्वारा धनुर्विद्या का प्रदर्शन एवं शिरोभाग पर सुई युक्त सरसों के ढेर पर नृत्यरत कोशा। (पृ० २८२)
३४. ऊपर : सिंह के रूप में स्थूलिभद्र, नीचे : अपनी बहिनों के सम्मुख मूलरूप में स्थूलिभद्र । (पृ० २८८) ३५. उपदेश देते हुए प्राचार्य । (पृ० ३६८) ३६. प्राचार्य का उपदेश सुनता हुआ श्री संघ । (पृ० ३७०)
डॉ. चन्द्रमणि सिंह
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