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कल्पसूत्र २५१
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शेष वन जैसा हेतु शीतल के सम्बन्ध में कहा है वैसा ही यहां जानना चाहिए। वह इस प्रकार है :बयालीस हजार तीन वर्ष और साढ़े आठ मास न्यून दश करोड़ सागरोपम जितना समय व्यतीत होने पर श्रमण भगवान् महावीर निर्वाण को प्राप्त हुए। उसके उपरान्त नौ सौ वर्ष व्यतीत हो गए और उसके बाद दशवीं शताब्दी का प्रस्सीवां वर्ष का समय चल रहा है।
१८३. अर्हत् चन्द्रप्रभु को यावत् सर्व दुःखों से पूर्णरूपेण मुक्त हुए एक सौ करोड़ सागरोपम जितना समय व्यतीत हो गया। शेष जैसा प्रर्हत् शीतल के प्रसंग में कहा है। उसी प्रकार यहां समझना चाहिए। वह इस प्रकार है :वयालीस हजार तीन वर्ष और साढ़े आठ माह कम एक सौ करोड़ सागरोपम व्यतीत होने पर, इत्यादि पूर्ववत जानना चाहिए।
१८४. श्रहंत सुपार्श्व को यावत् सर्व दु:ख मुक्त हुए एक हजार करोड़ सागरोपम जितना समय व्यतीत हो गया। शेष वृत्त जैसा प्रर्हतु शीतल के प्रसंग में कहा है उसी प्रकार यहां जानना चाहिए ।
१८५. अहं पद्मप्रभ को यावत् समस्त दुःखों से पूर्णतया मुक्त हुए दश हजार करोड़ सागरोपम जितना समय व्यतीत हो गया। शेष वर्णन ग्रहंतु शीतल के समान समझना चाहिए ।
183. A thousand million sāgaropamas passed between Arhat Candraprabha and Arhat Sitala.
184. Ten thousand million sāgaropamas intervened between Supärśva and Sitala.
185. A hundred thousand million sāgaropamas intervened between Arhat Padmaprabha and Arhat Sitala.
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