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तिवासअद्धनवमासाहियबायालीसवाससहसेहिं ऊणिया विइक्कंता, एयम्मि समए महावीरे निव्वुए, तओ वि य णं परं नव वाससयाई विइक्कंताइं, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥१८१॥
सुविहिस्स णं अरहओ पुष्फदंतस्स जाव प्पहीणस्स दस सागरोवमकोडीओ विइ
कल्पसूत्र २४८
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