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Get this done
let a throne be placed in the hall. quickly and report to me."
बनायो। (यह कार्य) स्वयं करो, दूसरों से करवायो और स्वयं करके तथा अन्यों से करवाकर वहां सिंहासन को सजायो। सिंहासन को सज्जित करके मेरी इस प्राज्ञा को शीघ्र ही प्रत्यर्पित करो अर्थात् कार्य सम्पन्न हो गया है, इसकी मुझे सूचना दो।" ५६.तत्पश्चात वे कोम्बिक पुरुष सिद्धार्थ राजा द्वारा इस प्रकार का आदेश दिये जाने पर हर्षित यावत् उल्लसित हो हाथ जोड़कर यावत् अंजलिबद्ध हो- "स्वामिन् ! जैसी प्राज्ञा" कहकर आदेश को विनयपूर्वक वचनों से स्वीकार करते हैं। स्वामी के आदेश को सविनय वचनों से स्वीकार कर सिद्धार्थ क्षत्रिय के पास से (बाहर) निकलते हैं। निकल कर जहां बाह्य उपस्थानशाला-सभामण्डप है, वहां पाते हैं। वहां प्राकर शीघ्र ही विशेष रूप से बाह्य सभामण्डप को सुगन्धित जल से सिंचन कर यावत् सिंहासन सज्जित कर, जहां पर सिद्धार्थ क्षत्रिय है वहां पर आते हैं। वहां पर आ कर, दशनखों से सम्मिलित दोनों हाथ जोड़कर, मस्तक पर पावर्तपूर्वक अंजलि कर सिद्धार्थ क्षत्रिय
59. These words of king Siddhartha gladdened the hearts of his attendants. They saluted him with folded palms and humbly acknowledged his commands with the words "it will be done, my lord," and left his presence. They went to the outer audience-hall, carried out the orders and reported back to king Siddhårtha, saluting him with folded palms.
कल्पसूत्र EE
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