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________________ Jain Education International द्वितीय संस्करण के सन्दर्भ में प्राकृत भारती अपने पाठकों के समक्ष कल्प सूत्र का दूसरा संस्करण सहर्ष प्रस्तुत कर रही है। हमें गर्व है कि इस ग्रन्थ के पहले संस्करण का विद्वज्जनों ने अच्छा समादर किया। हमने जिस रूप में कल्प सूत्र को पाठकों के सामने रखा था इसका अब दूसरा परिचय देने की हम समझते हैं, आवश्यकता नहीं। पर हम जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट, मेवानगर एवं अन्य उदार व्यक्तियों के प्रति अपना आभार जताये बिना नहीं रह सकते। इनके दाक्षिण्य के बिना यह संस्करण संभव नहीं हो पाता। वकील एण्ड सन्स, बम्बई और ऑल इण्डिया प्रेस, पाण्डिचेरी के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापन करते हैं। जिनके कौशल के बिना पुस्तक इस रूप में आपके सामने न आ पाती। आषाढी पूर्णिमा २०४१ For Private & Personal Use Only ( देवेन्द्रराज मेहता) सचिव, प्राकृत भारती, जयपुर (राज० ) www.jainelibrary.org
SR No.600010
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publication Year1984
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationManuscript, Canon, Literature, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size11 MB
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