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आचार
दिनकरः
॥ १५६ ॥
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ॐ नमो विधात्रे खाहा ४० ॐ नम ऋषये स्वाहा ४१ ॐ नम ऋषिपालाय स्वाहा ४२ ॐ नम ईश्वराय स्वाहा ४३ ॐ नमो महेश्वराय स्वाहा ४४ ॐ नमः सुवक्षसे खाहा ४५ ॐ नमो विशालाय स्वाहा ४६ ॐ नमो हा साय स्वाहा ४७ ॐ नमो हासरतये स्वाहा ४८ ॐ नमः श्वेताय स्वाहा ४९ ॐ नमो महाश्वेताय स्वाहा ५० ॐ नमः पतंगाय स्वाहा ५१ ॐ नमः पतंगरतये स्वाहा ५२ ॐ नमः सूर्याय स्वाहा ५३ ॐ नमश्चन्द्राय स्वाहा ५४ ॐ नमः सौधर्मेन्द्राय स्वाहा ५५ ॐ नम ईशानेन्द्राय स्वाहा ५६ ॐ नमः सनत्कुमारेन्द्राय स्वाहा ५७ ॐ नमो माहेन्द्राय स्वाहा ५८ ॐ नमो ब्रह्मेन्द्राय स्वाहा ५९ ॐ नमो लान्तकेन्द्राय स्वाहा ६० ॐ नमः शुक्रेन्द्राय स्वाहा ६१ ॐ नमः सहस्रारेन्द्राय स्वाहा ६२ ॐ नम आनतप्राणतेन्द्राय स्वाहा ६३ ॐ नम आरणाच्युतेन्द्राय स्वाहा ६४ । तद्बहिः परिधिं विधाय चतुःषष्टि दलानि कृत्वाऽनुक्रमेण च तेषु दलेषु ॐ नमश्चरम| देवीभ्यः स्वाहा १ ॐ नमो बलिदेवीभ्यः स्वाहा २ ॐ नमो धरणदेवीभ्यः स्वाहा ३ ॐ नमो भूतानन्ददेवीभ्यः स्वाहा ४ ॐ नमो वेणुदेवदेवीभ्यः स्वाहा ५ ॐ नमो वेणुदारिदेवीभ्यः स्वाहा ६ ॐ नमो हरिकान्तदेवीभ्यः खाहा ७ ॐ नमो हरिसहदेवीभ्यः स्वाहा ८ ॐ नमोऽग्निशिखदेवीभ्यः स्वाहा ९ ॐ नमोऽग्निमानवदेवीभ्यः स्वाहा १० ॐ नमः पूर्णदेवीभ्यः स्वाहा ११ ॐ नमो वशिष्टदेवीभ्य स्वाहा: १२ ॐ नमो जलकान्तदेवीभ्यः स्वाहा १३ ॐ नमो जलप्रभदेवीभ्यः खाहा १४ ॐ नमोऽमितगतिदेवीभ्यः स्वाहा १५ ॐ नमोऽमितवाहनदेवीभ्यः स्वाहा १६ ॐ नमो वेलम्बदेवीभ्यः स्वाहा १७ ॐ नमः प्रभञ्जनदेवीभ्यः स्वाहा १८ ॐ नमो घोषदे -
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विभागः २
प्रतिष्ठा
विधिः
॥ १५६ ॥
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