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________________ अंक ११ ] दिगम्बर जैन | KKKKKKKKKKKK * कपूर । * TRAATTNTTTÆR सब लोग प्रायः यह न जानते होंगे कि कपूर क्या चीज है, किस तरह बनाया जाता है और कहां से आता है । कपूर एक प्रकारका तेल है जो कपूर के पेड की लकडीसे निकलता है, इम ते में दस हिस्सा कारबन और सोलइ हिस्सा हाइड्रोजन और एक हिस्सा आक्सीजन होता है । कपूर बनाने में इस तेलसे आक्सीजनका भाग मलग करना होता है | कपूर १७१ दर्जा सेन्टीग्रेट पर पिघलता है और १०४ दनेकी गरमी पर उडता है | यह बेरंग और स्फुटिक और सुगन्धित होता है और पानी में तैरता है, तेज आंच में भडक उठता है और अलकोहल स्पिरिटमें गल जाता है । एक पौन्ड यानी भाष सेर रेक्टीफाइड स्पिरिटमें करीब डेढ छटाक कपूर मिला देने से गल जाता है। और यह बहुत अच्छा अर्क कपूर बन जाता है। हैजे की बीमारी के लिये मर्क कपूर बहुत अच्छी दवा है । चीन और जापान कपूरकी पैदायशकी खास जगह है। चीन में कम पैदा होता है और जितना पैदा होता है वहीं खर्च हो जाता है । चीन में कपूरकी लकडीके सन्दुक बहुत बनाये जाते हैं और मध्य एशियाके मुल्कोंमें बडी कदर और कीमत से बिकते हैं। उन देशोंमें घते बालवाले जानवरोंके चमडेकी पोशाक पहिननेका बहुत चलन है, जिनमें कीडे बहुत लगते हैं और केवल कपूरकी लकडीके सन्दूकोंमें रखने से इन कीडों से बचत और हिफाज़त रहती है । १९ चीनसे जापान में कपूरकी बहुत अधिक पैदाबार होती है और जिस जगह से कुल दुनिया में कपूर जाता है उनका नाम फारमूसा है । यह टापू चीन सागर में है, इसके असल बाशिन्दे मृगलियन नस्लके हैं । इन चीनियोंने असल बाशिन्दोंको मारकर जंगलमें हका दिया है जहां पर वे अब भी रहते हैं और चीनियोंके साथ हमेशा फवाद और मुकाबिलापर अमादा रहते हैं। इस टापू बहुत ऊंचे ऊंचे पहाड़ हैं और पहाडोंपर घने जंगल हैं । जंगलों में बांस और दूसरी तरह के जगली पेड हैं । इन्हीं जंगलोंके ऊंचे स्थानोंपर कपूरके पेड बहुतायतसे होते हैं। 1 कपूरका पेड सैकडों बर्ष तक हरा भरा रहता है, यहां तक कि दो हजार वर्ष तक के पेड अब तक मौजूद हैं । इसके पत्ते चौडे, मोटे, गहरे २ रंगके होते हैं । पेड बहुत मोटा और ऊंचा होता है जो शाहतलूतके पेडसे बहुत मिळता जुलता है । इसकी लकडी रंग और बनावटमें आपकी तरह होती है। कपूर पेडकी जडमें बहुतायत से लेकिन पेडी और शाखों में बहुत कम निकलता है । लकडीके टुकडोंको पानीमें खूब पकाते हैं और उस पानीको मिट्टीके बरतनोंमें रख देते हैं. ठंढे होनेपर कपूर बरतनों में चिमट जाता है, पानी बढा देते हैं और कपूर खुरचकर कारखानेदारोंके हाथ बेच डालते हैं । यह कारखाने भी उसी जंगल में है । कारखानेदार कपूरको खूब पकाते और साफ करते हैं और फिर उसे बन्दरगाह टोई चोशियाको भेनते हैं । फारमुप्ताके टापूमें यह नामी बन्दरगाह है। यहां अंग्रेज और यूरोपकी बहुत
SR No.543201
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size8 MB
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