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________________ दिगम्बर जैन । [वर्ष १० जाति वस्तुका नाम जल मीस बनाने वाला तत्त्व क्षार पौष्टिक तत्व 6 ૧૧.૧ १५.० ९५.८ ૧૨૧.૬ १५.० . .. . २.२ ૨૧.૬ शाकभाजी . . AWNo ४.१ बालोल भिडी कोल्हा टमाटर कांदा भाजी गाजर भसका दूध पनीर खापरा ८६.. . . 3.५ . . ૧.૨ ४.० दूघ ४४.०८ ७.1 १५.९५ ५०.६ ५.७२ १०.२ १२.५ २८.५ १००.८ १६५.९ २८.१ २१.८ १५.० ७५.१ फल .१.३ . . अंजीर मटन १४.। . . मांस मुर्गी मछली २१.० ११.९ ०.२ १४.० अंडे १४... | ६०.५ उपर्योक्त कोष्टकसे आपको यह पता लग वनस्पतिके आहार करनेवाले मांसाहारी बाल जावेगा कि धान्य, शाकभाजी और फलों में कोंसे अधिक तन्दुरस्त, बजनमें विशेष और मांससे दुगुने और तिगुनेका फर्क है। मटन, स्वच्छ चमड़ीवाले थे । मछली, मुर्गी और अंडे में क्रमशः ५३.८, हाय ! यह देखकर हमें कितना दुःख होता १४.०, ५३.९, और १३.४. ही पौष्टिक है कि इन्द्रियलोलुपी मनुष्य अपने स्वार्थवश तत्व है पर चना, मक्का, तूबर, मूंग, भिंडी, देवीके नामपर सैकड़ों प्राणियोंका संहार करते पनीर और खोपरामें क्रमशः १२४.३, १००.६, हैं। बहुतसे तो यह मनौती करते हैं कि 'हे १०१.०, ११८.७, १२१.६, १००.८, माताजी ! यदि मेरा पुत्र अमुक रोगसे अच्छा १६५.९, पौष्टिक तत्व है। यही नहीं हम होजाय तो मैं एक बकरी चढाऊंगा। भला आपको एक और बिलायतके डाक्टरका इसी किसीने आज तक देवीको मांसभक्षण करते विषयमें प्रमाण देते हैं । सन् १९०८में डाक्टर देखा भी है. ? यदि नहीं, तो फिर देवीका नाम निकलसनने १०.०० कड़कोंको छ: महीने क्यों बदनाम. करते हो ?'देवीको लोग 'जगदम्बा' तक फलादिका भोजन कराया और किसी नामसे पुकारते हैं। क्या कभी किसीने ऐसा भी दूसरे डाक्टरने इतने ही लडकोंको मांसाहार • मुना है कि कोई माता अपने बचको खा जाती पर रक्खा। छः महीने पश्चात जांच करने पर हो। उस देवीके लिये तो समस्त संसारके प्राणी
SR No.543201
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size8 MB
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