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________________ ( १ ) है कि वलियों के समय से संघ में मतभेद हुआ था । इसी समय अन्य आचार्योंने केवलियोंको भोजन करना आदि स्वीकार कर लिया प्रतीत होता है और मतभेद प्रारंभ होगया था जिसका अन्त श्वेताम्बर सम्प्रदायकी उत्पत्ति में हुआ । इस प्रकार हमारी श्वेताम्बर सम्प्रदायोत्सत्ति गवेषणाका अन्त होता है । और हम अन्तमें फिर भी गण्य मन्य विद्वानोंसे 'शा रखते हैं कि वे ऐतिहासिक सत्य पर और भी विशेष प्रकाश डालेंगे जिससे अंधकार में पड़ा हुआ जैन इतिहास प्रगट होतके । प्राचीन जैन स्मारक ब्र० शीतलप्रसादजी द्वारा अतीव खोजके साथ पादित होकर प्राचीन श्रावकोद्धारिणी सभा-कलकत्ता की ओरसे प्रकट होगया है । पृ० ११० पाई सफाई उत्तम और लागत मूल्य पांचआने । कवंद तुर्त ही मगा लीजिये अन्यथा पछताना होगा मैनेजर, दि० जैन पुस्तकालय - सूरत नये २ ग्रंथ मगाइये । ) प्राचीन जैन इतिहास प्रथम भाग जैन बालबोधक चौथा भाग- में ६७ विषय हैं । पृ० ३७९ होनेपर भी मू० सिर्फ १ = ) है । पाठशाळा व स्वाध्यायोपयोगी है। आत्मसिद्धि-अंग्रेजी, संस्कृन, गुजराती III) जिनेंद्र भजन भंडार ( ७९ भजन ) 1-) - मैनेजर, दिगम्बर जैन - सूरत। पता दिगंबर जैन | O00 महुवा श्री विघ्नहरपार्श्वनाथ ( नौसारी प्रांत जिला - सूरत ) दि० जैन प्राचीन मंदिरके सरस्वती भंडारकी सूची । हमने यहां ता० १६ व १७ जुन सन् २३ दो दिन ठहरकर यहां के व्यवस्थापक सेठ इच्छाचंद झवेरचंदकी मदद से सर्व सरस्वती मंडारको जो यहां विना सूत्रीके था उसको देखकर व उसकी सम्हाल करके सूचीपत्र बना दिया उसका संक्षेप सार नीचे प्रमाण है । बारा व बम्बई के सिद्धांत को यह सूत्र सम्हालकर रखनी चाहिये । वेष्टन नं १ ग्रंथ नं० १ तत्वार्थ रत्नप्रभाकर-त्यार्थपुत्र टीका प्रमाचंद्र कृ० श्लोक २७५०. पत्रे ११९ २- ४ तप:सूत्र ५ षट् पाहुड मूल प्राकृत श्री कुं० पत्रे १७ ६ कल्याणमंदिर सटिपण ७-८ सिंदूरप्रकरण व कल्याणमंदिर वेष्टन नं ० २-१ ९ से २८तक अनेक संस्कृत पुनाएं व उब:पन हैं इनमें नं० २१ कर्मदहन पूजा वादिचंद्र सुरि पत्रे २३, नं० २३ त्रिकाल चौवीसी पूना पत्रे १९, नं० २४ जंबूद्वीप के अकृत्रिम चैत्यालय ७८ की सं० पूना, नं० २.१ जिन सहस्रनाम पूना महीचंद्र कृत, नं० २६ सहश्र - गुणित पुना धर्मकीर्ति कृत पत्रे १२३ ( इसमें कविता उत्तम है । यह प्रकाशके योग्य है | ) वेष्टन नं० ४ २९ प्रतिष्ठापाठ आशाघर सं० १९८३ का
SR No.543187
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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