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अंक १]
दिगंबर जैन.
साकारसमालोचना
आराधना-कथाकोषः - अनुवादक पं. उदयलाल काशलीवाल और प्रकाशक- " जैन मित्र” कार्यालय-बम्बई. पृष्ठ ३३६ मूल्य रु. १। त्र. श्रीमन्नेमिदत्त कृत संस्कृत ग्रंथका यह स्वतंत्र हिन्दी अनुवाद मूल संस्कृत श्लोकों सहित प्रकट करके "" जैन मित्र " के ग्राहकोंको उपहारस्वरुप दिया गया है, जिसमें पात्रकेसरी, भट्ठाकलंक - देव, सनत्कुमार चक्रवर्ति, समन्तभद्रां चार्य, अंजनचोर, उदायन, रेवतीरानी, वारिषेण मुनि, विष्णुकुमारमुनि, शिव भूति, श्रेणिकराजा, यमपाल चाण्डाल, नमस्कार मंत्र माहात्म्य आदिकी कथाएं १२३ पृष्ठों में और हिंदी भाषानुवाद २०३ पृष्ठों में विभक्त है । यह ग्रंथ सभी को पढ़ने योग्य है क्योंकि ऐसे कथाग्रंथ पढ़नेसे कथा के रूपमें धार्मिक ज्ञान प्राप्त होकर जैनधर्ममें अगाढ़ श्रद्धा हो जाती है । छपाई बहुत सुन्दर है और मूल्य भी बहुत कम है । प्रकाशकसे और हमारे पुस्तकालय से भी मिल सकता है ।
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कथाएं हैं । संस्कृत
श्री महावीर चरित्र:- ब्र. शीतलप्रसादजी द्वारा संग्रहित और पं. पन्नालालजी बाकलीवाल ( भारतीय जैन सिद्धांत प्रका
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शिनी संस्था - बनारस ) द्वारा प्रकाशित यह छोटासा महावीर - चरित्र है, जिसमें संक्षिप्त महावीर चरित्र लिखकर महावीरस्वामी के बारेमें कितनेक अजैन विद्वानों के मत भी प्रकट किये गये हैं । मूल्य ० ) - ३) सैंकड़ा, परंतु अजैनोंको विनामूल्य । यह पुस्तक जैनअजैन सभी में बांटने योग्य है ।
(१) बालविवाह, (२) वृद्धविवाहःयह दोनों छोटे२ ट्रेक्ट श्रीमती मालवा दि. जैन प्रांतिक सभा कार्यालय - बड़नगर द्वारा प्रकट कीये गये हैं और सभा के सभासदों और पंचायतियोंको विना मूल्य और सर्व साधारणको लागत खर्चसे भेजे : जाते हैं ।
(१) अनित्य भावना (२) जैनी कौन हो सक्ता है ? : - लेखक - बाबू जुगलकिशोर मुख्तार और बाबू ज्योतिप्रसादजी (देवबन्द) द्वारा प्राप्त । मूल्य डेढ़ आना और १ पैसा । प्रथममें पद्मनंद्याचार्यकृत अनित्यभावनाका मूल सहित पद्यानुवाद है । जब दुसरे में अनेक ग्रंथोंके प्रमाण देकर जैन धर्म की श्रेष्ठता बतलाकर सब कोई जैन - धर्मी बन सकता है ऐसा सिद्ध किया गया है ।
दयास्वीकार - मांसतिरस्कारः - संपादकबुधमल पाटनी और प्रकाशक - बाबू दयाचंद्र गोगलीय जैन बी. ए. बैरुनखिंदक,