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» सचित्र खास अंक. << [वर्ष ८
गजाधरलालजी न्यायाचार्यने महावारस्वामीके परमात्मत्वका विवरण करते हुए और उनका दिपमालिकाके साथ संबंध दिखाते हुये व्या
ख्यान दिया । बादमें ब्रह्मचारी। दिपमालिका और महावीरोत्सव:-दि- शीतलप्रसादजीका एक प्रभावशाली व्यापमालिकाके दिन काशी नागरी प्रचारणीके ख्यान हुआ। आपने अपने व्याख्यानमें सभाभवनमें महावीरोत्सव बड़े धूमधामसे अनेक प्रमाणोंसे दिगंबर जैन धर्मकी प्रामनाया गया। महोत्सवका यह तीसरा चीनता सिद्ध की, अहिंसा धर्मका युक्तिबर्ष है। इसकी नीव जैनधर्मप्रचारिणी सभा पूर्वक दृढ़ प्रमाणोंसे वर्णन किया, जिससे काशीने डाली थी और गत दो वर्षके उत्सवका उपस्थित सभ्यों के चित्तपर अधिक प्रभाव कार्य्य उक्त सभा द्वारा ही होता रहा। पड़ा । उनके बाद सभापति साहबने जैन इस वर्ष जैनधर्मप्रचारिणी सभाके स्था- धर्मके उद्देशोंकी श्लाधा करते हुए शांतिनमें भारतीय जैनसिद्धांतप्रचारिणी सं- जनक वकृता दी । प्रश्चात् पं. पार्श्वदास स्था नाम बदल दिया गया है और काव्यतीर्थ और पं. श्रीलालजी शास्त्रीने उसका कार्य केवल ग्रंथप्रकाशन निश्चित धन्यवाद दिया और सभा समाप्त की गई। हो गया है इसलिये उक्त संस्थाकी ओर islilना मेणे- धुनेम
ઉપર માગતુંગી તાર્થ ઉપર રાબેતા મુજબના
મેળા ભરાયે હતો તેમાં ચા પડા (ખાનદેશ) ની चरित्र २००० छपाकर बांटा गया भार- बारासातथा यापीशनपूजन तथा 6. महोत्सव जैन स्पोर्टस क्लब-काशी (जो कि सप 42 ते. चंदरोजसे शुरु है) तथा स्याद्वादप्रचारि- शास्त्रदानः-पं. नाना रामचंद्र नागणी सभाके ओरसे किया गया । महोत्सव द्वारा नवीन प्रकाशीत 'समयसार नाटक' में सभापतिका आसन जी. एन. प्रोफेसर ग्रंथ (कि. रु. २॥ )नी २० प्रतो बाराउनवाला साहबने सुशोभित किया। और मतीवाळा जमनाबाई हेमचंद तरफथी गामेमंगलाचरण अभयचन्द विद्यार्थीने पढ़ा । गाम गया मासमां वेंचवामां आवी हती. तत्पश्चात् गोविन्दराय विद्यार्थी स्याद्वाद वार्षिक मेळो:-श्री रुषभब्रह्मचर्याश्रमहाविद्यालयने 'महावीर कौन थे दिपमा- मनो वार्षिक मेळो कार्तक सुद ८ थी १५ लिकाका उनके साथ क्या सम्बन्ध है।' इस सुधी हस्तीनापुरमा भरायो हतो जेनो वीविषय पर व्याख्यान दिया । अनंतर पं. गतवार रिपोर्ट आवता अंकमां प्रकट
न करव