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________________ ( फ्रेम पर अपनी छोटी अँगुलिएं फिराता होगा, कोई सफाई करता होगा। कोई बच्चा टेबल के पास कुर्सी पर बैठा होगा तो कोई आसन पर बैठा होगा । धीरे २ ले जाते और वापिस लाते साधनों का दबाहुमा आवाज आता होगा । बीच २ में फर्श पर चलते बच्चों की धीरे २ आतुरता भरी और हर्षित आवाज सुनाई पड़ती होगी । "शिक्षक, शिक्षक ! देखो तो जरा मैने यह किया ।" सामान्य तौर पर बच्चों की तरह २ की प्रवृतियों में सिर्फ तल्लीनता ही देखने में आयेगीः । शिक्षक इधर उधर शान्ति से फिरता है जो बच्चा उसको पूछता है वह उसके पास जाता है वह इस तरह से सम्हाल रखता है। जिसकी उससे जरूरत पड़ती है उसके पास वह खड़ा ही रहता है । यदि जरूरत न हो तो उससे यह मालूम नहीं होता कि शिक्षक यहां पर खड़ा है। अक्सर जरा भी शब्दोच्चार किये कई घन्टे व्यतित हो जाते हैं। एकदफा एक प्रेक्षक ने ऐसा भी कहा था कि इन छोटे मनुष्यों को देखना ठीक ऐसा ही है जैसा कि न्याय करनेवाले न्यायाधीश मालूम होते हैं। जब प्रवृति में इस तरह की तल्लीनता आ जाती है पदार्थों के लेने के विषय में कभी झगड़े टन्टे नहीं होते हैं । जब कोई बच्चा सुन्दर सर्जन करता है तो दूसरे बच्चे आचर्य और भानन्द से उसमें भाग लेते हैं। किसी को दूसरे उत्कर्ष की इच्छा नहीं होती परन्तु एक की विजय में सब उत्सव मानते हैं। अक्सर दूसरों का अच्छा देख कर अपनी अच्छा करने लग जाते हैं उनसे जो कुछ होता है उसमें वे सुख और सन्तोष मानते हैं और वे दूसरों के कृत्यों के प्रति द्वेष नहीं करते हैं। तीन वर्ष का छोटा बच्चा सात वर्ष के बालक के पास शान्ति से काम करता है । ज्यों उसको अपनी ऊंचाई से संतोष है तथा दूसरों की ऊंचाई से सन्तुष्ट होकर ईर्षा नहीं करता है । गम्भीर शान्ति में चारों तरफ वर्धनविकाश का काम होता है । कभी सारा समूह शिक्षक के पास कोई काम कराना चाहता है । जैसे कि इच्छित काम को छोड़कर शिक्षित के पास आना आदि । शिक्षक सिर्फ धीरे आवाज से अथवा निशानी से बच्चों को जरा सम्बोधन करता है तब वहां पर सर्वत्र शांति फैल जाती है । सब उसकी श्राज्ञा श्रातुरता से झेलने को तय्यार रहते हैं और आज्ञा का कार्य करने को तत्पर रहते हैं। शिक्षक तरह तरह की आशावाले तख्ते पर लिखता है और बच्चे प्रेमपूर्वक उनको बताते हैं। शिक्षक
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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