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________________ करती थी और कुछ माव उसमें से प्रदर्शित नहीं होता था। कोलाहल अथवा सुन्दर संगीत इन दोनों तरफ उसका कान सदा दुलेच रखता था। उसके नाक के लिये दुर्गन्धि सुगन्ध दोनों बराबर थी। बुद्धि के प्रवेश पर करीब २ अन्धेरा था। पशु की आवश्यक्ता के अलावा दूसरे विषयों में वह जरा एकाग्र नहीं हो सकता थां । परिणाम स्मृति, विवेक, अनुकरण शक्ति अथवा ऐसी मानसिक शक्तियों का उसमें प्रभाव था। वह न पहुंच सके इतनी ऊंचाई पर खुराक रखा हो तो उसको लेने के लिये वह खड़ा नहीं हो सकता था। उसके आसपास रहने वाले मनुष्यों के साथ सम्बन्ध बांधने को उसके पास कोई साधन न था, अर्थात् वह निशानी अथवा वाणी से अपना विचार नहीं बता सकता था। संक्षेप में वह पशु के बराबर अथवा उससे भी उतरते दर्जे का था। - कुदरती मनुष्य को देखने के लिये विज्ञानिक लोग इटार्ड के दवाखाने में आये परन्तु जंगली को देखते ही कुदरती भव्यता सम्बन्धी उनकी कल्पना उड़ गई। पिनेले ने कहा "यह बेवकूफ है इसको मनुष्य शिक्षित नहीं कर सकेगा।" इटार्ड युवक था और साथ ही साथ उत्साही था। पिनेल की चिकित्सा उसने स्वीकार की परन्तु उसके निदान का स्वीकार नहीं किया। उसने अपने विचार को पक्का किया कि यह जंगली अब तक मनुष्य से दूर रहा है इपलिये शिक्षा से बंचित है और वह शिक्षित हो सकेगा। इटार्ड ने उसको शिक्षित करने का काम अपने हाथ में लिया। जंगली को शिक्षित करने के लिये इटार्ड के पास पांच वस्तुएं थी:: १--जंगली असामाजिक है इसलिये उसको सामाजिक बनाना । उसको शुरूपात में जंगली हालत में ही रख कर उसके पास-पास सामाजिक संस्कारी वातावरण की रचना करना और उसके अनुसार अनुसरनार बनाना । २-उसकी इन्द्रियों को खूब तीव्र उत्तेजना से उत्तेजित अथवा जागृत करना तथा लागनियों परत्वे करना । ३-उसके जीवन की नई आवश्यक्ता और बाहिर दुनिया के साथ के सम्बन्ध का विस्तार बढ़ा करके उसका विचार प्रदेश बढ़ाना ।
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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