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(1) (२) एक इन्द्री का व्यायाम दूसरी इन्द्री की सक्रियता का प्रेरक और परीक्षक है।
(३) सूचम विचारों और तुलनाओं आदि मानसिक ब्यापार इन्द्रीगम्य अनुभवननित है।
(४) इन्द्रीगम्य अनुभव ( संवेदना ) करने की शक्ति की वृद्धि में मानसिक विकास का मूल है।
पेरेरा ने अपनी शोध बहिरों और गुंगों के लिये की हैं परन्तु इसका साधारण शक्तिवाले बालकों के साथ सम्बन्ध जोड़ने वाला रूसो हैं। रूसो बारम्बार उसके पास जाता था। पेरेरा के विचारों ने रूसो पर अजब असर की ऍमीली में अपनी शिक्षा सम्बन्धी रचनात्मक योजना करके रूसो ने पेरेरा को पुनर्जन्म दिया है ऐसा कहा जाय तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
रूसो
दूसरे समकालीनो के सदृश रूसो भी लॉक की प्रतिभा के परिचय में आया था। लॉक की शिक्षा के अनुमार स्वतंत्रता का स्थान देना शुरू किया था। रूसो ने इन विचारों को विशालता दी और शिक्षा के नये विचारों की नीव डाली। पॅस्टोलॉजी और फॉबॅले ने स्वतंत्रता के विचार के पाये पर शिक्षा के भव्य मंदिरों का निर्माण किया और शिक्षा के विचार का पुनरुद्धार किया। रूपो के यही विचार मोन्टीसोरी पद्धति के स्वतंत्रता के मूल में हैं। मोन्टीसोरी का बाल मंदिर इन विचारों की नीव पर नहीं हैं तो भी शिक्षा में स्वतंत्र विचार की प्रबल महिमा के लिये रूसो का पहिले नमस्कार किये बाद ही दूसरे देवों को नमस्कार किया जा सकता है। रूसो के स्वतंत्रता के विचार नीचे माफिक हैं:......जन्म से मनुष्य स्वतंत्र है। स्वतंत्रता यह मनुष्य का लाख है। पूर्ण मनुष्यत्व उस में है कि जो पर प्रमाण में अथवा पर अभिप्रायो से मान्दोलित हुये बिना स्थिर रहता है, खुद की ही आँख से देखता है, खुद के हृदय से ही अनुभव करता है और जो मात्र स्वतंत्र प्रज्ञा का ही अधिकार स्वीकार