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(१६) इस नियम से या विधि नम्बर १४ से नील का पानी बनाने से बड़े के तले .पर बहुत बैल पड़ जाता है, और इसलिये बड़ा कपड़ा सा सूत रंगने के समय हरे रंग के नील के पानी को दूसरे घड़े में रखना पड़ेगा। इस ममी में हवा लगने से धीरे-धीरे नीला पड़ चायमा और इससे अब कपड़ा रंगा नहीं था सकता। इस नीले पानी को फिर घड़े में छोड़ कर मैल के साथ खूब मिला कर रख देना चाहिए। दूसरे दिन फिर वह काम में आ सकता है। ...
इस्तरी करना-यदि कोई बेचने के लिए कपड़ा रंगे तो इस्तरी करना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इससे कपड़े पर का रंग चमकदार दीखता है। - सत बनाना बहुत जगह पर सत निकालने के लिए आध घंटे तक उबालने के लिए लिखा गया है। जिस समय से पानी खौलमा भारम्भ हो उस समय से आध घंटा लगाना चाहिये ।
... (स्वराज से उधृत)
सामाजिक प्रगति
महा-मन्त्री की कोटा यात्रा . कोटा राजपूताना में श्रीमान् पाथूलालजी साहब पौरवाड़ जो अपनी ज्ञाति के सदस्य हैं उन्होंने अपने खर्चे से जैन-मन्दिर बनवाया है वहां पर वैदी प्रतिष्ठा फाल्गुन शुक्ला १० को थी अतएव पोरवाल महा-सम्मेलन के उद्देशों का प्रचार करने के लिये पौरवाल प्रान्तिय सम्मेलन भरने का वहां के लोगों ने इरादा किया। जिस पर मेरे पास निमंत्रण आया । स्थानीय संघ के निमंत्रण को मान देकर तीन महाशय कोटा गये । जिनमें श्रीमान् सिंघी बीराजजी मंत्री, शाह अजेराजजी व मैं था। हम लोग नियत समय पर रवाना होकर कोटा पहुँचे। जहां पर आजूबाजू के प्रांत में दो हजार से अधिक पोरवालों के घर हैं। उन लोगों की स्थिति साधारण है और वे अपने आपको पद्मावती