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(७) आज समाज में कोई युवक बाँतर-जातीय विवाह करणरा विचार कर रया है, कई विधुर विधवा-विवाह करण पर जोर दे रया है, इतरोहिज नहीं इणरे वास्ते ज्ञातिने तिलांजलि देणी पड़े तो देवण ने तैयार है। एडी भावना अब सीमा तक पहुंच गई है, अठै विचार करणो चाहिजे के, जो काबू टूट जावेला तो कोई स्थिति होवेला।
राज सत्तारी जरूरत अनुभव सिद्ध है कि, अब कन्या-विक्रय री घोर प्रथा समाजसत्ता संबंध नहीवेला ने बंध करणरो केवल एक उपाय मात्र राज-सत्ता है, मा प्रथा भावी साजरोहीज निकंदन कर रही है, इतरोहिज नहीं है पण प्रोसवाल समाजरी भी घोर घातक है।
यदि दोई कोमग अगुवा इस काम मे हाथ में लेके तो उमेद है कि राजसत्ता इणमें जरूर मदद करेला।
.. ... ... नरेशाँने प्रार्थना ___ मरूधर और सीरोही नरेशोंने सविनय प्रार्थना है के इण दोई रियास्तारी मैन प्रजा दुष्ट कन्या- विक्रय रा रिवाजसुं घोर आंतरिक दुःख भोग रही है, सो बहुत जल्दी कन्या विक्रय नहीं करणरा कडा कानून बणाय, दुःख मुक्त करणी चाहिने।
जा तक मो दुष्ट भूत जैन समाजरा पिंडमें कायम रेवेला सुख रो संचार नहीं होवेला।
व्यापाररी दुर्दशा भाषणी कोमरो सारोई भाधार व्यापारी चढती पडती उपर है, और अब की बात भी बतावणरी जरूरत नहीं है के दुनियारी सर्व व्यापी मंदीमुं अंपणी कठा तक खराबी हुई है।
एक बर्फ मा हालत, दुसरी तरफ समाजिक रिवाजानुसार फजूल खर्च विभाइयो और तीसरी कांनी वे भी खोपरियाँ समाज में मौजूद हैं के नवी २, साकिबोरा -रिवाज दाखिल कर फजूल खर्चारी परंपरा बढाय रया है।