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(0) पण पत्रिका माफिक रिवाज प्रापरा गांव में पत्रिका पंहुचताहीज कायम हो जाणा चाहिजे, आखिर मारवाडरी मिती चैत्र वद १ पेली पेली ए रिवाज कायम कर देसीजी।
'. कदाचित इण ठहरावों सुं अथवा गांव में दुना कोई कारण सुं भिन्नमाव होवे तो मारी आपने सविनय अर्ज है के, समाजरी स्थिति ऊपर विचार कर कुल भिमभाव अलग-मेल ए रिवाज कायम कर लिरावसी। । - इण शिवाय कोई नवा सुधारा वधारा करावणा हुवे अथवा इण में कोई फेरफार करणो जच तो, ए रिवाज कायम करने इण मंडल में सूचना दिरावे साके पागा सुं उणपर विचार कर सुधारा-वधारा कराया जावेला।
इण मंडल द्वारा श्री मुंबईरा संघरी आपने दर्दभरी अर्ज है के, एक वक्त इण पत्रिकारे माफिक रिवाज महेरबानी कर चालु कर दिरावसीजी। इण सुं भापणी समाजने बहुत फायदो पहुंचेला, अधिकेन किंतु संवत् १९६० रा. फागण वद १२. नोट:-पापरा चोकदारा गाँवांमे इण माफिक रिवाज कायम करणरी इत्तिला दे दिरावसी।
लि० श्री पोरवाल ज्ञाति सुधारक मंडल।
* श्री *
सामाजिक रिवाज परिवर्तन
पत्रिका १ ली. प्रकाशक, श्री पोरवाल ज्ञाति सुधारक मंडल, बम्बई.
सुज्ञ बन्धु गण .... मापात अब नक्कि हो गई है के, प्रापणी समाज अनेक कुरूढियारे कारण जो तकलिफाँ सहन कर रही है, एडी तकलिफा शायद ही उंच गिणनाति हुई मातियाँ ने भुगतणी पडती वेला । ।। इणसे कारण स्पष्ट है के, समय परिवर्तनरे साथ साथ वे पोतारा सामाजिक रिवाज भी बदलवाहिज रेवे है। . .. ...